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देवी पार्वती ने एक बार भगवान शिव से प्रश्न किया, "इस संपूर्ण पृथ्वी पर अनेक स्थान होते हुए भी आप श्मशान में ही क्यों निवास करते हैं?" शिव का उत्तर सुनकर पार्वती चकित रह गईं।

श्मशान: मृत्यु के बाद आत्मा का अंतिम ठिकाना

भगवान शिव ने समझाया कि श्मशान ही वह स्थान है, जहां मृत्यु के बाद प्रत्येक आत्मा को जाना होता है। जीवित अवस्था में कोई भी मनुष्य परमेश्वर के पास नहीं आता, न ही सच्चे प्रेम और श्रद्धा से उनकी प्रार्थना करता है।

अधिकांश लोग भगवान से केवल इच्छाओं की पूर्ति की मांग करते हैं। लेकिन मृत्यु के बाद, जब व्यक्ति के प्रियजन कुछ समय तक शोक मनाते हैं, वे धीरे-धीरे उसकी संपत्ति और जीवन की उपलब्धियों की ओर ध्यान केंद्रित करने लगते हैं।

मृत्यु के बाद आत्मा का पश्चाताप

यही वह क्षण होता है जब आत्मा को यह एहसास होता है कि उसने अपना संपूर्ण जीवन धन-संपत्ति और भौतिक सुखों के पीछे भागने में व्यर्थ कर दिया। लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी होती है, क्योंकि मोक्ष के लिए आवश्यक पुण्य फल का संचय नहीं किया गया होता। इस कारण आत्मा पीड़ा भोगती है।

शिव: आत्माओं के संरक्षक

भगवान शिव कहते हैं, "मैं उस आत्मा को अकेला नहीं छोड़ता।" वे प्रत्येक जीव के पिता हैं और अपनी करुणा से हर पीड़ित आत्मा का मार्गदर्शन करते हैं। वे उन आत्माओं के साथी बनते हैं जो शोक और पीड़ा से गुजर रही होती हैं।

इसलिए भगवान शिव ने श्मशान को अपना निवास बनाया, ताकि वे वहाँ आने वाली आत्माओं की सहायता कर सकें और उन्हें मोक्ष का मार्ग दिखा सकें। यही कारण है कि वे श्मशानवासी कहलाते हैं।

शिव की असीम करुणा

यह कथा भगवान शिव की असीम करुणा और दयालुता को दर्शाती है। वे केवल देवों के नहीं, बल्कि समस्त जीवों के रक्षक और मार्गदर्शक हैं। श्मशान में उनका निवास, उनकी निस्वार्थ सेवा और समर्पण का प्रतीक है।

यह विचार एक इंस्टाग्राम पेज पर साझा किया गया था, जो भगवान शिव के भक्तों के प्रति उनके प्रेम और संरक्षण को दर्शाता है।