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पत्रकार मुकेश चंद्राकर हत्याकांड : ठेकेदार सुरेश चंद्राकर के भाई रितेश ने पत्रकार को किया फोन. वहां आए मुकेश चंद्राकर ने सुरेश के सुपरवाइजर महेंद्र और भाई रितेश के सिर पर वार किया और फिर चोरी कर उसकी हत्या कर दी. उन्होंने बताया कि बाद में शव को सेप्टिक टैंक में रख दिया गया

बस्तर आईजी सुंदरराज पी ने बताया कि महेंद्र रामटेके और रितेश चंद्राकर ने मिलकर हत्या की है. पुलिस ने इस मामले में सुरेश चंद्राकर को भी मुख्य आरोपी बनाया है. फिलहाल 11 सदस्यीय एसआईटी मामले की जांच कर रही है. सुरेश चंद्राकर के तीन बैंक खाते फ्रीज कर दिए गए हैं. इस दौरान आरोपी की संपत्ति का निरीक्षण किया गया और अवैध निर्माण के खिलाफ कार्रवाई की गई

ठेकेदार सुरेश चंद्राकर के भाई रीतेश ने पत्रकारों को बुलाया। वहां आए मुकेश चंद्राकर ने सुरेश के सुपरवाइजर महेंद्र और भाई रितेश के सिर पर वार किया और फिर चोरी कर उसकी हत्या कर दी. इसके बाद शव को सेप्टिक टैंक में रख दिया गया। 

हत्या के अगले दिन रितेश बीजापुर से रायपुर होते हुए दिल्ली भाग गया। रितेश को दिल्ली से जबकि महेंद्र और दिनेश को बीजापुर से गिरफ्तार किया गया. पुलिस का मानना ​​है कि सुरेश चंद्राकर ही घटना का मुख्य मास्टरमाइंड है. ऐसे में उन्हें मुख्य आरोपी बनाया गया है. हालांकि, सुरेश चंद्राकर अभी भी फरार हैं. पुलिस उसकी तलाश कर रही है और जल्द ही उसे गिरफ्तार करने का वादा किया है.

सुरेश चंद्राकर की हत्या के बाद से ही उन पर संदेह जताया जा रहा है. ऐसा इसलिए क्योंकि पत्रकार ने सड़क निर्माण घोटाले की खबर दी थी. सुरेश को ठेका मिल गया. बताया जाता है कि इस रिपोर्ट से नाराज होकर सुरेश चंद्राकर ने मुकेश को सड़क पर फेंकने की योजना बनाई थी।

घटना के बाद पुलिस ने शनिवार को हत्यारोपी सुरेश चंद्राकर के गुप्त नेटवर्क पर जेसीबी से छापेमारी की. प्रबंधन मंडल ने सुरेश चंद्राकर द्वारा अवैध रूप से कब्जा किये गये भूखंडों को चिन्हित कर जेसीबी के माध्यम से ध्वस्तीकरण की कार्रवाई शुरू कर दी है. साथ ही अब पुलिस सुरेश चंद्राकर के काले अध्याय के खुलासे की जांच कर रही है. बताया जाता है कि सुरेश चंद्राकर बीजापुर के प्रभावशाली व्यक्तियों में माने जाते हैं। ऐसे में पुलिस भी सतर्कता से काम कर रही है.

जगदलपुर बस्तर रेंज के पुलिस महानिरीक्षक सुंदरराज पी ने कहा कि पत्रकार मुकेश चंद्राकर की हत्या में शामिल किसी भी आरोपी को भागने नहीं दिया जाएगा. मामले की जांच के लिए गठित एसआईटी टीम वैज्ञानिक और तकनीकी साक्ष्यों के आधार पर जांच करेगी और जल्द से जल्द अदालत में आरोप पत्र दाखिल करेगी.