1 फरवरी 2025 को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने केंद्रीय बजट पेश किया, जिसमें करदाताओं और मध्यम वर्ग के लोगों के लिए बड़ी राहत का ऐलान किया गया। नए टैक्स स्लैब के तहत, 12 लाख रुपये तक की वार्षिक आय को कर-मुक्त घोषित किया गया है। यह घोषणा वेतनभोगी लोगों और छोटे व्यापारियों के लिए किसी खुशखबरी से कम नहीं है।
हालांकि, कई करदाता यह समझ रहे हैं कि 12 लाख रुपये तक की पूरी आय पर कोई टैक्स नहीं लगेगा। लेकिन क्या यह सच में पूरी तरह कर-मुक्त है? यदि आपकी आय 12 लाख रुपये से अधिक है, तो आप इस कर लाभ का फायदा कैसे उठा सकते हैं? आइए जानते हैं नए टैक्स स्लैब और इससे जुड़ी महत्वपूर्ण बातें।
नया टैक्स स्लैब 2025: पूरी जानकारी
सरकार ने नए आयकर स्लैब की घोषणा की है, जो इस प्रकार हैं:
आय सीमा (रुपये में) | कर दर (%) |
---|---|
0 - 4 लाख | शून्य कर (0%) |
4 - 8 लाख | 5% कर |
8 - 12 लाख | 10% कर |
12 - 16 लाख | 12% कर |
16 - 20 लाख | 15% कर |
20 लाख से अधिक | 20% कर |
इन नई दरों के तहत, जिनकी वार्षिक आय 12 लाख रुपये या उससे कम है, वे धारा 87ए के तहत पूर्ण कर राहत का लाभ उठा सकते हैं।
क्या सच में 12 लाख तक की आय पूरी तरह कर-मुक्त है?
हालांकि, सरकार ने 12 लाख रुपये तक की आय को कर-मुक्त घोषित किया है, लेकिन इसमें कुछ शर्तें लागू होती हैं। आइए इसे एक उदाहरण से समझते हैं:
कैसे मिलेगा कर-मुक्ति का लाभ?
मान लीजिए कि किसी व्यक्ति की कुल आय 12 लाख रुपये है, जिसमें शामिल हैं:
- वेतन और अन्य स्रोतों से 8 लाख रुपये
- शेयरों या म्यूचुअल फंडों से अल्पकालिक पूंजीगत लाभ (STCG) – 4 लाख रुपये
अब, इस व्यक्ति को धारा 87ए के तहत केवल वेतन आय (8 लाख रुपये) पर कर राहत मिलेगी। लेकिन STCG पर 20% कर अलग से देना होगा।
इसी तरह, यदि किसी व्यक्ति की दीर्घकालिक पूंजीगत लाभ (LTCG) से आय हो, तो उस पर 12.5% कर लगाया जाएगा।
इसका मतलब यह हुआ कि 12 लाख की आय पूरी तरह टैक्स-फ्री नहीं है, बल्कि यह आपकी आय के स्रोत पर निर्भर करता है।
धारा 87ए के तहत छूट: कौन उठा सकता है फायदा?
धारा 87ए उन करदाताओं को राहत देती है, जिनकी कुल कर योग्य आय 12 लाख रुपये से कम है। इस छूट के तहत 75,000 रुपये की मानक कटौती भी शामिल है। लेकिन यह छूट विशेष श्रेणी की आय जैसे शेयरों से होने वाले मुनाफे या किराए की आय पर लागू नहीं होती।
क्या नए टैक्स स्लैब से मध्यम वर्ग को फायदा होगा?
नए टैक्स स्लैब से मध्यम वर्ग और वेतनभोगी लोगों को निश्चित रूप से राहत मिलेगी। खासकर वेतनभोगी लोग, जिनकी आय केवल वेतन और ब्याज पर आधारित है, वे 12 लाख रुपये तक की आय पर कोई टैक्स नहीं देंगे।
लेकिन अगर आपकी आय का स्रोत निवेश, शेयर बाजार या किराए की संपत्ति है, तो इस छूट का फायदा सीमित रहेगा।