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Trump Tariff impact on India : अमेरिका द्वारा व्यापारिक टैरिफों में बदलाव और विशेष रूप से ऑटोमोबाइल सेक्टर पर लगाए गए भारी शुल्कों के बीच, भारत और जापान उन कुछ अर्थव्यवस्थाओं में शामिल हैं जो तुलनात्मक रूप से सबसे कम प्रभावित हुई हैं। मॉर्गन स्टेनली की ताजा रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई है। रिपोर्ट के मुताबिक, इन दोनों देशों की घरेलू मांग इतनी मजबूत है कि यह वैश्विक व्यापार में आने वाली चुनौतियों को काफी हद तक संतुलित कर देती है।

टैरिफ के प्रभाव का आकलन कैसे किया गया?

रिपोर्ट में कहा गया है कि किसी भी देश की अर्थव्यवस्था पर टैरिफ का प्रभाव जानने के लिए मुख्य मीट्रिक है – जीडीपी में माल निर्यात का अनुपात। यही आंकड़ा यह दर्शाता है कि किसी देश की अर्थव्यवस्था कितनी हद तक अंतरराष्ट्रीय व्यापार पर निर्भर करती है। इसी मीट्रिक की मदद से यह समझा गया कि अमेरिका के संरक्षणवादी कदमों का किस देश की आर्थिक वृद्धि पर कितना असर पड़ेगा।

ऑटो सेक्टर पर 25% टैरिफ और एशियाई देशों की चिंता

अमेरिकी सरकार ने ऑटोमोबाइल और ऑटो पार्ट्स के आयात पर 25 प्रतिशत का टैरिफ लागू किया है। इससे सबसे अधिक प्रभावित होने वाले देश हैं – जापान और कोरिया। ऐसा इसलिए क्योंकि इन दोनों देशों की कुल निर्यात का लगभग 7% हिस्सा अमेरिका को ऑटो सेक्टर के उत्पादों का होता है। इसका मतलब यह है कि इस टैरिफ के चलते इनके निर्यात में तेज गिरावट आ सकती है, जिससे जीडीपी भी प्रभावित होगी।

नई टैरिफ योजना: कई क्षेत्रों पर असर

अमेरिकी प्रशासन जल्द ही व्यापार में पारस्परिकता (Reciprocity) सुनिश्चित करने के लिए नई टैरिफ योजना पेश कर सकता है। संभावित रूप से यह योजना ऊर्जा, दवाइयां, सेमीकंडक्टर्स, कृषि, तांबा और लकड़ी जैसे क्षेत्रों को कवर कर सकती है। इन क्षेत्रों में भी टैरिफ लागू करने से एशिया की लगभग सभी प्रमुख अर्थव्यवस्थाएं प्रभावित हो सकती हैं।

एशिया पर व्यापक असर: नीति की अनिश्चितता से व्यापार चक्र प्रभावित

मॉर्गन स्टेनली ने रिपोर्ट में यह भी चेतावनी दी है कि "रेसिप्रोकल टैरिफ" का असर एशिया की लगभग सभी अर्थव्यवस्थाओं पर दिखेगा। चाहे वह सीधे शुल्क हों या क्षेत्रीय, इसका असर कंपनियों के पूंजीगत खर्च और अंतरराष्ट्रीय व्यापार पर दिखाई देगा। यह व्यापार चक्र को धीमा कर सकता है और लंबे समय तक निवेश व विकास को प्रभावित कर सकता है।

अमेरिका का ऑटोमोबाइल घाटा और एशियाई देशों की भागीदारी

फिलहाल अमेरिका 245 बिलियन डॉलर का संयुक्त ऑटोमोबाइल घाटा चला रहा है, जिसमें यात्री वाहन, मालवाहक वाहन और ऑटो पार्ट्स (ईवी बैटरियों सहित) शामिल हैं। इस घाटे का 47 प्रतिशत हिस्सा एशिया से आयात किए गए उत्पादों का है। जापान, कोरिया और चीन इस घाटे में प्रमुख भागीदार हैं। इन तीनों देशों के साथ अमेरिका का व्यापार घाटा सबसे ज्यादा है – यह अमेरिका के कुल ऑटोमोबाइल घाटे में टॉप 10 देशों में इन्हें क्रमशः दूसरे, तीसरे और चौथे स्थान पर रखता है।

जापान, कोरिया और चीन की स्थिति

रिपोर्ट में कहा गया है कि जापान और कोरिया के साथ अमेरिका का घाटा ज्यादातर वाहनों और पारंपरिक ऑटो पार्ट्स से जुड़ा हुआ है। वहीं, चीन के मामले में यह घाटा मुख्य रूप से इलेक्ट्रिक व्हीकल बैटरियों से आता है। इससे यह स्पष्ट होता है कि अमेरिका के टैरिफ का सीधा असर इन देशों की अर्थव्यवस्थाओं के विशिष्ट सेक्टर्स पर पड़ रहा है।

जापान की आर्थिक वृद्धि पर संभावित असर

मॉर्गन स्टेनली के जापान स्थित मुख्य अर्थशास्त्री ताकेशी यामागुची ने चेतावनी दी है कि अगर यह 25 प्रतिशत टैरिफ लंबे समय तक बना रहता है और अमेरिका को होने वाले ऑटोमोबाइल निर्यात में 15 से 30 प्रतिशत की गिरावट आती है, तो जापान की जीडीपी वृद्धि में 0.2 से 0.3 प्रतिशत अंकों की गिरावट आ सकती है। यह प्रभाव काफी महत्वपूर्ण हो सकता है, खासकर उस समय में जब वैश्विक आर्थिक अनिश्चितता बढ़ रही है।