
Trump Tariff impact on pharma Sector : शेयर बाजार में हाल ही में जो उथल-पुथल देखने को मिली, उसका सबसे ताजा शिकार बना फार्मा सेक्टर। बाजार में पहले से जारी बिकवाली के माहौल के बीच फार्मा कंपनियों के शेयरों में अचानक आई गिरावट ने निवेशकों को चौंका दिया। इसकी सबसे बड़ी वजह बनी अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का ताजा बयान, जिसमें उन्होंने फार्मा सेक्टर पर भारी टैरिफ लगाने का संकेत दिया।
ट्रंप ने एयर फोर्स वन में मीडिया से बात करते हुए कहा कि दवाओं पर जल्द ही ऐसे टैरिफ लागू होंगे, जो पहले कभी नहीं देखे गए। उन्होंने बताया कि फार्मा सेक्टर के लिए एक अलग कैटेगरी बनाई जाएगी, जिसकी घोषणा जल्द की जाएगी।
एक दिन में बदला बाजार का मूड
गुरुवार को जब इस तरह की कोई घोषणा नहीं हुई थी, तब फार्मा सेक्टर के शेयरों में जबरदस्त उछाल देखने को मिला था। कई कंपनियों के स्टॉक्स तेजी से ऊपर चढ़े, निवेशकों में उत्साह था, और बाजार का माहौल पॉजिटिव दिख रहा था। लेकिन ट्रंप के बयान ने अगले ही दिन तस्वीर पूरी तरह बदल दी। निवेशकों को अब डर है कि अगर यह टैरिफ लागू हो गया तो भारत की फार्मा कंपनियों की अमेरिका से होने वाली कमाई पर सीधा असर पड़ेगा।
फार्मा शेयरों की बड़ी गिरावट
शुक्रवार को अरविंदो फार्मा के शेयर करीब 10% टूट गए। लॉरेस लैब्स और इप्का लैब्स में भी 9% तक की गिरावट दर्ज की गई। इसके अलावा ल्यूपिन, जायडस, सिप्ला और बायोकॉन जैसी बड़ी कंपनियों के शेयरों में 7 से 8% तक की गिरावट आई। इसका सीधा असर Nifty Pharma Index पर पड़ा, जो लगभग 5% नीचे गिरा। गौर करने वाली बात यह है कि गुरुवार को यही इंडेक्स लगभग 5% ऊपर चढ़ा था। यानी एक ही दिन में पूरी बढ़त मिट गई।
सिटी बैंक की रिपोर्ट से उम्मीद की किरण
हालांकि, अप्रैल की शुरुआत में सिटी बैंक की एक रिपोर्ट में यह कहा गया था कि अमेरिका की ओर से भारत की दवा कंपनियों पर टैरिफ लगाए जाने की संभावना बेहद कम है। रिपोर्ट में बताया गया कि जिन कंपनियों की अमेरिकी बाजार पर निर्भरता कम है—जैसे सन फार्मा, टॉरेंट फार्मा और डिवीज लैब—उन पर टैरिफ का ज्यादा असर नहीं पड़ेगा। लेकिन ट्रंप के बयान के बाद इस रिपोर्ट की उम्मीदों पर भी फिलहाल संशय के बादल मंडरा रहे हैं।
भारत-अमेरिका के बीच फार्मा व्यापार के गहरे रिश्ते
भारत और अमेरिका के बीच फार्मा सेक्टर में लंबे समय से मजबूत कारोबारी संबंध रहे हैं। भारत हर साल अमेरिका से लगभग 800 मिलियन डॉलर की दवाएं खरीदता है, जबकि अमेरिका को लगभग 8.7 बिलियन डॉलर की दवाओं का निर्यात करता है। यह आंकड़े यह दिखाते हैं कि दोनों देशों के बीच यह कारोबार कितना अहम है।
IPA का नजरिया
इंडियन फार्मास्युटिकल अलायंस (IPA) के सेक्रेटरी जनरल सुदर्शन जैन का कहना है कि भारत और अमेरिका के बीच व्यापार लगातार बढ़ रहा है। मिशन 500 के तहत दोनों देश व्यापार को 500 बिलियन डॉलर तक ले जाने का लक्ष्य लेकर चल रहे हैं, और फार्मा सेक्टर इस साझेदारी की रीढ़ की हड्डी है। उन्होंने यह भी कहा कि भारत पूरी दुनिया को सस्ती और जरूरी दवाएं सप्लाई करता है, इसलिए इस सेक्टर पर किसी भी तरह का नकारात्मक असर दोनों देशों के हित में नहीं होगा।
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