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Share Market Crash Today, 28 Feb: शुक्रवार को शेयर बाजार बड़ी गिरावट के साथ खुला।सेंसेक्स ने 900 से ज्यादा अंकों का गोता लगाया, और 974 अंकों की गिरावट के साथ 73,638 के स्तर पर आ गया। निफ्टी भी 22268 के निचले स्तर तक गिरा, जहां 276 अंकों की गिरावट दर्ज की गई।

किन कंपनियों को सबसे ज्यादा नुकसान?

शेयर बाजार में गिरावट के कारण कई प्रमुख कंपनियों के शेयरों में बड़ी गिरावट देखी गई।

इंडसइंड बैंक: -5.66%

टेक महिंद्रा: -4.06%

महिंद्रा एंड महिंद्रा: -4.16%

विप्रो: -3.80%

एचसीएल टेक: -3.02%

सोने के दाम भी गिरे

शेयर बाजार की तरह ही सोने के दाम में भी गिरावट आई है। 24 कैरेट सोने की कीमत 500 रुपये तक घटी। 22 कैरेट सोने के भाव 400 रुपये कम हुए। देश के प्रमुख शहरों में 24 कैरेट सोना अब 87,300 रुपये प्रति 10 ग्राम के आसपास बिक रहा है।

शेयर बाजार में गिरावट के कारण

अब सवाल यह है कि शेयर बाजार में इतनी बड़ी गिरावट क्यों आई? इसके पीछे तीन प्रमुख कारण बताए जा रहे हैं:

अमेरिका का नया टैरिफ:

अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने मेक्सिको और कनाडा से आयात पर नए टैरिफ लगाने की घोषणा की। इस फैसले का सीधा असर भारत के बाजारों पर पड़ा है।

विदेशी निवेशकों की बिकवाली (FII Outflow):

विदेशी संस्थागत निवेशक (Foreign Institutional Investors - FII) लगातार भारतीय बाजारों से पैसे निकाल रहे हैं, जिससे शेयर बाजार दबाव में है।

भारतीय अर्थव्यवस्था से जुड़े अहम आंकड़े:

सरकार जल्द ही अर्थव्यवस्था से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण आंकड़े जारी करने वाली है। इससे पहले ही निवेशकों में असमंजस की स्थिति बनी हुई है, जो बाजार में गिरावट का एक और कारण है।

कमजोर होता रुपया, आम आदमी पर असर

डॉलर के मुकाबले रुपया लगातार कमजोर हो रहा है। जब रुपये की कीमत गिरती है, तो आयातित चीजें महंगी हो जाती हैं।उदाहरण के लिए, अगर किसी उत्पाद की कीमत 100 डॉलर थी और पहले उसे 8,300 रुपये में खरीदा जा सकता था, तो अब उसके लिए 8,500 रुपये देने पड़ेंगे।

रुपये की गिरावट का सीधा असर कच्चे तेल की कीमतों पर भी पड़ता है, जिससे ईंधन महंगा हो सकता है।

निवेशकों और आम जनता के लिए क्या संकेत?

निवेशकों को शेयर बाजार में अस्थिरता को ध्यान में रखते हुए सतर्क रहने की सलाह दी जाती है। सोने की कीमतों में गिरावट निवेशकों के लिए खरीदारी का अच्छा मौका हो सकता है।कमजोर रुपये का असर आम आदमी पर पड़ सकता है, क्योंकि इससे आयातित सामान, तेल और अन्य जरूरी चीजों की कीमतें बढ़ सकती हैं।