बाजार नियामक सेबी की चेयरपर्सन माधबी पुरी बुच और उनके पति धवल बुच ने कंसल्टिंग फर्म एगोरा एडवाइजरी पर एक नया बयान जारी किया है। बयान में कहा गया है, 'सेबी में शामिल होने के बाद, माधबी ने एगोरा एडवाइजरी, एगोरा पार्टनर्स, महिंद्रा ग्रुप, पिडिलाइट, डॉ रेड्डीज लैब, अल्वारेज़ एंड मार्सल, सेम्बकॉर्प, वी लीजिंग या आईसीआईसीआई बैंक से संबंधित किसी भी फाइल में हस्तक्षेप नहीं किया।
बुच के बयान के मुताबिक, 'इस तरह के आरोप पूरी तरह से निराधार और दुर्भावना से प्रेरित हैं। सभी तथ्यों और कंपनियों के बीच हुए संचार से यह स्पष्ट है कि आरोप पूरी तरह से झूठे, दुर्भावनापूर्ण इरादे से प्रेरित और मानहानि के इरादे से लगाए गए हैं। किराये की आय के आरोपों के संबंध में, बुच दंपत्ति ने कहा कि संपत्ति आम तौर पर पट्टे पर दी गई थी। बाद में पता चला कि संपत्ति किराए पर लेने वाला व्यक्ति वॉकहार्ट का सहयोगी था, जिसकी जांच की जा रही थी। बयान के मुताबिक, ‘मधाबी ने वॉकहार्ट से जुड़ी किसी भी फाइल में हस्तक्षेप नहीं किया है।’
बुच दंपत्ति ने आईसीआईसीआई बैंक में कार्यरत रहते हुए कहीं और काम करने के आरोपों का भी जवाब दिया। बयान में कहा गया है कि आईसीआईसीआई बैंक में काम करते हुए माधबी ने कहीं भी अवैध रूप से काम नहीं किया। बयान के मुताबिक, '2011 में माधवी ने सिंगापुर जाने के लिए बैंक से लंबी छुट्टी ली थी, जहां उस वक्त उनके पति काम कर रहे थे। सिंगापुर में अपने प्रवास के दौरान, उन्होंने बैंक की मंजूरी के साथ वहां एक निजी इक्विटी फर्म में एक पद स्वीकार किया। 2013 में, वह आईसीआईसीआई बैंक से सेवानिवृत्त हुए, जब उन्होंने सिंगापुर में रहने का फैसला किया।
बयान के मुताबिक, 'दरअसल इन आरोपों का आधार हमारे इनकम टैक्स रिटर्न को बनाया गया है. दरअसल, हमारे इनकम टैक्स रिटर्न की जानकारी फर्जी और गैरकानूनी तरीकों से हासिल की गई थी. यह न केवल हमारी निजता का उल्लंघन है, बल्कि आयकर अधिनियम का भी उल्लंघन है।
माधबी पुरी बुच ने कहा कि मामले को जिंदा रखने के लिए जानबूझकर किश्तों में आरोप तय किए जा रहे हैं. बुच दंपत्ति ने कहा कि हम दुर्भावना से प्रेरित इन सभी आरोपों की सच्चाई उजागर करने में सफल होंगे.
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