
Russia-Ukraine War : रूस और यूक्रेन के बीच पिछले तीन सालों से चल रही जंग अब भी थमने का नाम नहीं ले रही है। इस संघर्ष में हजारों लोगों की जान जा चुकी है, लाखों लोग अपने घरों से बेघर हो चुके हैं, और वैश्विक राजनीति में उथल-पुथल मची हुई है। हालांकि, हाल ही में शांति वार्ता को लेकर चर्चाएं तेज हुई हैं और एक नई उम्मीद जगी है। अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप की सत्ता में वापसी के बाद यह मुद्दा उनकी प्राथमिकताओं में शामिल हो गया है।
लेकिन बड़ा सवाल यह है—क्या वाकई इस युद्ध को रोकने के लिए कोई ठोस समझौता हो सकता है? क्या रूस और यूक्रेन के बीच कोई स्थायी शांति स्थापित हो पाएगी? विशेषज्ञों का मानना है कि शांति समझौता इतनी जल्दी संभव नहीं है। इसके पीछे कई बड़े कारण हैं, जिन्हें समझना जरूरी है।
शांति समझौता क्यों नहीं हो पा रहा है?
1. रूस और यूक्रेन के बीच सीधी बातचीत की कमी
शांति समझौते की सबसे बड़ी चुनौती यह है कि रूस और यूक्रेन के बीच प्रत्यक्ष बातचीत बहुत कम हो रही है। दोनों पक्ष शांति वार्ता चाहते तो हैं, लेकिन अभी तक कोई औपचारिक बातचीत शुरू नहीं हुई है।
- अब तक जो भी शांति वार्ताएँ हुई हैं, वे या तो रूस के साथ अलग से हुई हैं या फिर यूक्रेन के साथ।
- हाल ही में सऊदी अरब में एक शांति वार्ता हुई थी, लेकिन उसमें यूक्रेन को शामिल ही नहीं किया गया। इससे राष्ट्रपति जेलेंस्की नाराज हो गए थे।
- जब जेलेंस्की व्हाइट हाउस में बातचीत के लिए पहुंचे थे, तब भी पुतिन को साथ नहीं बैठाया गया।
अगर दोनों देशों के बीच कोई स्थायी समझौता करना है, तो उन्हें एक-दूसरे से सीधे बात करनी होगी। तीसरे देश मध्यस्थ बन सकते हैं, लेकिन असली शांति तभी आएगी जब रूस और यूक्रेन आपस में सहमति बनाएंगे।
2. जटिल मुद्दों पर सहमति बनने में लगेंगे कई साल
किसी भी युद्ध को खत्म करने के लिए कई तरह के समझौतों की जरूरत होती है। इन समझौतों में कई जटिल मुद्दे होते हैं, जिन पर सहमति बनने में सालों लग सकते हैं।
मुआवजा और जब्त संपत्तियाँ:
- यूक्रेन चाहता है कि उसे युद्ध में हुए नुकसान की भरपाई के लिए मुआवजा मिले।
- रूस की जब्त संपत्तियों को लेकर भी बड़ा विवाद है, जिसे हल करना आसान नहीं होगा।
इलाकों की वापसी:
- यूक्रेन उन सभी इलाकों को वापस लेना चाहता है, जो उसने युद्ध में गंवाए हैं।
- रूस चाहता है कि जेलेंस्की की सेना कुछ क्षेत्रों से पीछे हट जाए।
इन सभी मुद्दों पर सहमति बनाने में लंबा समय लग सकता है, क्योंकि दोनों देश अपनी-अपनी शर्तों पर अड़े हुए हैं।
3. यूरोपीय देशों की रूस के प्रति सख्त नीति
यूरोपीय देश यूक्रेन को हर हाल में सैन्य मदद देते रहना चाहते हैं। हालांकि अमेरिका ने कुछ समय के लिए मदद पर रोक लगाई है, लेकिन यूरोपीय देश पूरी मजबूती से यूक्रेन के समर्थन में खड़े हैं।
- रूस को यह बिल्कुल पसंद नहीं कि NATO (नेटो) के सैनिक उसके देश के करीब रहें।
- यूरोपीय देश चाहते हैं कि यूक्रेन को पूरी तरह से आजादी मिले और वह रूस के प्रभाव से बाहर आ सके।
- जब तक यह विवाद सुलझ नहीं जाता, तब तक कोई भी शांति समझौता मुश्किल रहेगा।
क्या युद्धविराम संभव है?
हालांकि रूस और यूक्रेन के बीच बातचीत शुरू होने की संभावना है, लेकिन युद्धविराम को लेकर अब भी संशय बना हुआ है। दोनों देशों के पास अपने-अपने हित हैं और वे अपनी स्थिति से समझौता करने के लिए तैयार नहीं दिख रहे।
ट्रंप प्रशासन इस युद्ध को रोकने के लिए प्रयास कर रहा है, लेकिन क्या उनकी कोशिशें रंग लाएंगी? यह कहना अभी मुश्किल है। जब तक रूस और यूक्रेन के बीच विश्वास नहीं बनता और बड़ी शक्तियाँ अपनी राजनीति को दरकिनार नहीं करतीं, तब तक यह युद्ध जारी रहने की संभावना बनी रहेगी।