
Dollar vs Rupee Exchange Rate Today : भारतीय मुद्रा रुपये की चमक एक बार फिर बाजार में दिखाई दे रही है। विदेशी पोर्टफोलियो निवेश (FPI) में तेज़ी और कच्चे तेल की गिरती कीमतों के चलते रुपया लगातार मज़बूत हो रहा है। सोमवार को यह लगातार नौवें कारोबारी दिन डॉलर के मुकाबले मज़बूती के साथ खुला और 3 पैसे चढ़कर 85.94 के स्तर पर पहुंच गया। यह सिलसिला जनवरी 2024 के बाद सबसे लंबी मज़बूती वाली रैली बन गया है।
इस दौरान डॉलर इंडेक्स में खास हलचल नहीं देखने को मिली, जिससे भारतीय करेंसी को अतिरिक्त सहारा मिला है। मार्च महीने में अब तक रुपया 1.83% तक मज़बूत हो चुका है, जो अंतरराष्ट्रीय बाजार में भारतीय मुद्रा की स्थिति को और स्थिर करता है।
RBI की खरीद-बिक्री स्वैप नीलामी बनी चर्चा का विषय
रुपये की इस लगातार बढ़त के बीच सभी की निगाहें भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) की खरीद-बिक्री स्वैप नीलामी पर टिकी रहीं। फिनरेक्स ट्रेज़री एडवाइजर्स के ट्रेज़री चीफ अनिल कुमार भंसाली के मुताबिक, बाजार यह जानने को उत्सुक था कि क्या RBI अपनी शॉर्ट पोज़िशन को कम करेगा, जैसा कि जनवरी और फरवरी में देखा गया था।
यह भी समझना जरूरी है कि सरकार नहीं चाहती कि भारत को अमेरिका की ओर से "करेंसी मैनिपुलेटर" के रूप में टैग किया जाए। शायद यही वजह रही कि RBI ने रुपये को कृत्रिम तरीके से दबाने के बजाय बाज़ार की प्राकृतिक दिशा में बढ़ने दिया। वर्तमान रुझानों को देखते हुए, भंसाली का अनुमान है कि रुपया निकट भविष्य में 85.60 से 86.60 के दायरे में रह सकता है।
दो साल की सबसे बड़ी साप्ताहिक बढ़त
IFA ग्लोबल के फाउंडर और CEO अभिषेक गोयनका के अनुसार, भारतीय रुपये ने पिछले दो सालों में सबसे बड़ी साप्ताहिक बढ़त दर्ज की है। बीते हफ्ते यह अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 1.2% की छलांग लगाकर 85.9725 के स्तर पर बंद हुआ। उन्होंने बताया कि रुपये ने अब तक अपने 84 से 87.95 के उतार-चढ़ाव भरे सफर का लगभग 50% रिकवर कर लिया है।
इस बढ़त में सबसे बड़ा योगदान विदेशी निवेश का रहा, विशेषकर FTSE ऑल-वर्ल्ड इंडेक्स के रीबैलेंसिंग के कारण अनुमानित 1.5 बिलियन डॉलर का निवेश भारतीय बाज़ार में आया। इसके अलावा घरेलू इक्विटी बाज़ार की सकारात्मक स्थिति ने भी रुपये को सहारा दिया।
कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट बनी बोनस
रुपये की मजबूती में एक और बड़ी भूमिका निभाई है अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कच्चे तेल की कीमतों में आई गिरावट ने। शुरुआती ट्रेडिंग सत्रों में तेल की कीमतों में गिरावट देखने को मिली, जिससे भारत जैसे आयात-निर्भर देश की मुद्रा को मजबूती मिली।
OPEC+ द्वारा अप्रैल से तेल उत्पादन को फिर से शुरू करने की घोषणा के बाद, वैश्विक बाज़ार में तेल की आपूर्ति बढ़ने की उम्मीद बनी। ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के अनुसार, इस निर्णय से उत्पादन में प्रतिदिन 1.38 लाख बैरल की बढ़ोतरी होगी, जो लंबे समय बाद सप्लाई में पहला बड़ा विस्तार होगा। सोमवार सुबह 10:55 बजे तक ब्रेंट क्रूड की कीमत 71.36 डॉलर प्रति बैरल पर ट्रेड कर रही थी।
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