
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के गवर्नर संजय मल्होत्रा ने बुधवार को मनी लॉन्ड्रिंग और अवैध फंडिंग के बदलते तरीके पर गहरी चिंता जाहिर की और कहा कि आज के दौर में टेक्नोलॉजी का उपयोग न केवल कारोबार को आसान बना रहा है, बल्कि इसके जरिए आपराधिक गतिविधियां भी ज्यादा उन्नत हो गई हैं। ऐसे में नियामकों को आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) और मशीन लर्निंग (ML) जैसे आधुनिक टूल्स की मदद से अपने असेसमेंट फ्रेमवर्क को लगातार अपडेट और मजबूत करना चाहिए।
एक अहम कार्यक्रम में बोलते हुए मल्होत्रा ने साफ किया कि टेक्नोलॉजी दोधारी तलवार की तरह है—जहां एक ओर यह कारोबार में सहूलियत देती है, वहीं दूसरी ओर अपराधियों को भी नए रास्ते खोल देती है। उन्होंने यह भी कहा कि केंद्रीय बैंकों और नियामकों को समय के साथ चलना होगा और वित्तीय दुनिया में हो रहे बदलावों को बारीकी से समझना होगा, ताकि अपराधी इनका गलत फायदा न उठा सकें।
‘अत्यधिक कड़े कदमों से बचें, वैध निवेशकों को न हो नुकसान’
मल्होत्रा ने यह भी कहा कि मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकवाद के वित्तपोषण से निपटने के प्रयासों में यह ध्यान रखना जरूरी है कि कहीं नीति निर्माता जरूरत से ज्यादा सख्ती न बरतें, जिससे वैध आर्थिक गतिविधियों और निवेशकों को परेशानियों का सामना करना पड़े। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि नियम ऐसे होने चाहिए जो संदेहास्पद लेनदेन की पहले ही पहचान कर सकें और त्वरित कार्रवाई संभव हो।
उनका कहना था कि डेटा की गुणवत्ता में सुधार जरूरी है, ताकि AI, ML और ब्लॉकचेन जैसी तकनीकों का पूरा फायदा उठाया जा सके। इससे संदिग्ध लेनदेन की जांच में तेजी आएगी और गलत अलर्ट, झूठे सकारात्मक (false positives) और नकारात्मक (false negatives) मामलों में भी कमी आएगी।
2027 तक ग्लोबल पेमेंट सिस्टम को मजबूत करने की दिशा में प्रतिबद्ध
गवर्नर ने आगे बताया कि आरबीआई, जी-20 के रोडमैप के तहत 2027 तक एक समावेशी क्रॉस-बॉर्डर पेमेंट सिस्टम लागू करने की दिशा में मजबूती से काम कर रहा है। यह पहल भारत को वैश्विक वित्तीय नेटवर्क का एक और महत्वपूर्ण हिस्सा बनाएगी और लेनदेन को ज्यादा पारदर्शी और सुरक्षित बनाएगी।
ग्राहकों की सुविधा और अधिकार भी हों प्राथमिकता
मल्होत्रा ने यह भी रेखांकित किया कि जब नियामक अपराधों को रोकने के लिए नई नीतियां बनाते हैं, तो उन्हें यह भी ध्यान में रखना चाहिए कि इससे आम ग्राहकों के अधिकार और सुविधाएं प्रभावित न हों। उनका स्पष्ट संदेश था कि मनी लॉन्ड्रिंग और अवैध फंडिंग पर रोक जरूरी है, लेकिन यह भी उतना ही जरूरी है कि वित्तीय समावेशन के रास्ते में कोई अनावश्यक अड़चन न आए।