
99.9 प्रतिशत शुद्धता वाला सोना शुक्रवार को 91,250 रुपये प्रति 10 ग्राम पर बंद हुआ था. लगातार तीसरे दिन गिरावट के साथ 99.5 प्रतिशत शुद्धता वाले सोने की कीमत 700 रुपये गिरकर 90,100 रुपये प्रति 10 ग्राम रह गई, जबकि इसका पिछला बंद भाव 90,800 रुपये प्रति 10 ग्राम था.
1. राष्ट्रीय राजधानी में सोने की कीमतों में बड़ी गिरावट
सोमवार को दिल्ली के सर्राफा बाजार में एक बड़ा झटका देखने को मिला जब सोने की कीमतें 700 रुपये की भारी गिरावट के साथ 90,550 रुपये प्रति 10 ग्राम तक लुढ़क गईं। हाल के दिनों में यह सबसे बड़ी गिरावटों में से एक मानी जा रही है। इस अचानक आई गिरावट का मुख्य कारण बाजार में आभूषण विक्रेताओं और स्टॉकिस्टों द्वारा की जा रही तेज़ बिकवाली को बताया जा रहा है। व्यापारियों ने लगातार कीमतों में बढ़त के बाद मुनाफा वसूली शुरू कर दी है, जिससे भाव नीचे आए हैं।
सोने की कीमतें आमतौर पर घरेलू मांग, वैश्विक संकेतों और निवेशकों की धारणा के आधार पर तय होती हैं। लेकिन जब बाजार में भारी मुनाफावसूली की जाती है, तो उसका सीधा असर दामों पर दिखता है। यही इस बार भी देखने को मिला, जब विक्रेताओं ने अपने लंबे समय से रखे स्टॉक्स को बेचना शुरू किया। इसके अलावा, निवेशक भी कीमतें और न बढ़ने की आशंका के चलते लॉन्ग पोजिशन काटते नजर आए।
आभूषण विक्रेताओं और स्टॉकिस्टों की भूमिका
बाजार में लंबे समय से मांग बनी हुई थी, जिससे सोने के दाम रेकॉर्ड स्तर पर पहुंचे थे। लेकिन जैसे ही कुछ सकारात्मक अंतरराष्ट्रीय संकेत मिले, विक्रेताओं ने तेजी से अपने स्टॉक्स निकालने शुरू किए। इससे सप्लाई बढ़ी और दामों पर दबाव आया। स्टॉकिस्टों को भी आशंका थी कि अंतरराष्ट्रीय बाज़ारों में सुधार के संकेतों के चलते कीमतें और गिर सकती हैं, इसीलिए उन्होंने मुनाफा वसूली को प्राथमिकता दी।
इसके अलावा, खुदरा खरीदारी में हल्की सुस्ती भी इस गिरावट का कारण रही। जब घरेलू खरीदार मूल्य गिरने की उम्मीद करते हैं, तो वे खरीदारी को टालते हैं, जिससे विक्रेताओं पर और दबाव बढ़ता है।
2. वैश्विक भू-राजनीतिक घटनाओं का असर
रूस-यूक्रेन शांति वार्ता की उम्मीदें
एक और बड़ा कारण जो इस गिरावट के पीछे छिपा है, वह है रूस-यूक्रेन युद्ध को लेकर सकारात्मक खबरें। हाल ही में सऊदी अरब में यूक्रेन और अमेरिकी अधिकारियों के बीच हुई बातचीत के बाद यह संकेत मिले हैं कि रूस के साथ कोई शांति समझौता संभव हो सकता है। यह खबर बाजार के लिए राहत भरी रही क्योंकि लंबे समय से चल रहा यह संघर्ष वैश्विक अस्थिरता का एक प्रमुख कारण रहा है।
जब कभी भी वैश्विक स्तर पर तनाव घटता है, तो सोने जैसी सुरक्षित निवेश की मांग में गिरावट आती है। निवेशक जोखिम लेने को तैयार होते हैं और पूंजी को इक्विटी जैसे एसेट क्लास में लगाना शुरू करते हैं। यही कारण है कि जैसे ही शांति वार्ता की खबरें आईं, बाजार ने सोने से दूरी बनानी शुरू की।
मध्य-पूर्व में बढ़ता तनाव
हालांकि रूस-यूक्रेन के मोर्चे पर सकारात्मक संकेत मिले हैं, लेकिन पश्चिम एशिया में तनाव अब भी बरकरार है। इजरायल द्वारा गाजा पट्टी में हमास पर फिर से हमले शुरू करने के बाद हालात गंभीर बने हुए हैं। यह एक ऐसा फैक्टर है जो सोने की कीमतों को एकदम से गिरने नहीं दे रहा। जब भी किसी क्षेत्र में युद्ध या तनाव बढ़ता है, तो निवेशक फिर से सोने की ओर रुख करते हैं।
अबंस फाइनेंशियल सर्विसेज के सीईओ चिंतन मेहता के मुताबिक, “मध्य-पूर्व के हालात अभी भी संवेदनशील हैं। इस वजह से निवेशक सोने को सुरक्षित विकल्प मानते हुए आंशिक रूप से इसमें निवेश जारी रखे हुए हैं।” इस डुअल सिचुएशन ने बाजार में एक संतुलन बना रखा है, जिससे बहुत बड़ी गिरावट नहीं आई, लेकिन दामों में दबाव जरूर दिखा।
3. शुद्धता के आधार पर सोने की कीमतों में अंतर
99.9% शुद्धता वाला सोना
शुद्धता के आधार पर सोने की कीमतों में भी अंतर देखा गया। 99.9 प्रतिशत शुद्धता वाला सोना, जो आमतौर पर निवेश या गहनों के रूप में सबसे अधिक खरीदा जाता है, शुक्रवार को 91,250 रुपये प्रति 10 ग्राम के स्तर पर बंद हुआ था। लेकिन सोमवार को इसकी कीमत 700 रुपये गिरकर 90,550 रुपये प्रति 10 ग्राम हो गई। यह सीधे तौर पर बाजार की धारणा और ट्रेडिंग पैटर्न को दर्शाता है।
निवेशकों के बीच 99.9% शुद्धता वाले सोने की मांग अधिक होती है क्योंकि यह उच्च गुणवत्ता वाला माना जाता है। लेकिन जब वैश्विक संकेत कमजोर पड़ते हैं या घरेलू बाजार में मुनाफावसूली शुरू होती है, तो इसकी कीमतों में भी गिरावट आती है। यह गिरावट दर्शाती है कि बाजार अब संभावित करेक्शन की ओर बढ़ रहा है।
99.5% शुद्धता वाले सोने की चाल
वहीं दूसरी ओर, 99.5 प्रतिशत शुद्धता वाला सोना भी 700 रुपये की गिरावट के साथ 90,100 रुपये प्रति 10 ग्राम पर आ गया। इसका पिछला बंद भाव 90,800 रुपये था। इस स्तर का सोना अधिकतर स्थानीय गहनों के निर्माण में उपयोग किया जाता है, और आम खरीदारों की पसंद होता है।
इस गिरावट का संकेत है कि न केवल निवेशक बल्कि खुदरा खरीदार भी फिलहाल सतर्क हैं। छोटे शहरों और कस्बों में गहनों की मांग में थोड़ी सुस्ती देखी गई है, जिससे इस श्रेणी की कीमतें भी प्रभावित हुईं।
4. चांदी का प्रदर्शन: विपरीत रुख
चांदी की कीमत में हल्की बढ़त
जहां एक ओर सोने की कीमतों में भारी गिरावट दर्ज की गई, वहीं दूसरी तरफ चांदी ने एक विपरीत रुख अपनाया। शुक्रवार के बंद स्तर 1,00,300 रुपये प्रति किलोग्राम से बढ़कर सोमवार को चांदी की कीमत 1,00,500 रुपये प्रति किलोग्राम हो गई। यानी चांदी में 200 रुपये की मामूली बढ़त दर्ज की गई।
इस बढ़त को देखने पर साफ होता है कि चांदी की मांग अभी भी स्थिर बनी हुई है। चांदी न सिर्फ आभूषणों में बल्कि औद्योगिक उपयोग में भी इस्तेमाल होती है, जिससे इसकी कीमतों पर अलग प्रकार का दबाव होता है। जब इंडस्ट्रियल प्रोडक्शन या टेक्नोलॉजी सेक्टर में डिमांड बनी रहती है, तो चांदी की कीमतें गिरने के बजाय स्थिर या बढ़ने लगती हैं।
निवेशकों की रणनीति में बदलाव
मेहता के अनुसार, निवेशकों ने हाल के दिनों में सोने की तुलना में चांदी को ज्यादा प्राथमिकता दी है, खासकर तब जब सोने की कीमतों में अस्थिरता बनी हुई हो। चांदी की तुलना में कम लागत होने के कारण छोटे निवेशकों के लिए यह एक आकर्षक विकल्प बनता जा रहा है।
इस तरह का निवेश पैटर्न यह भी बताता है कि बाजार अब अधिक डायवर्सिफिकेशन की ओर बढ़ रहा है। निवेशक एक ही प्रकार के मेटल में सारा पैसा लगाने के बजाय, चांदी जैसे विकल्पों में भी संभावनाएं तलाश रहे हैं।
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