
PM Modi's Man Ki Baat : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने लोकप्रिय रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात’ के 120वें एपिसोड में एक बार फिर भारतीय संस्कृति की महत्ता और उसकी वैश्विक पहुंच पर चर्चा की। इस एपिसोड में उन्होंने लोकगीत ‘फगवा चौताल’ का उल्लेख करते हुए बताया कि कैसे भारतीय संगीत और परंपराएं दुनियाभर में जीवंत बनी हुई हैं। इस दौरान उन्होंने सूरीनाम की एक चौताल का ऑडियो भी साझा किया, जिससे यह स्पष्ट होता है कि भारतीय संस्कृति अब केवल भारत तक सीमित नहीं रही, बल्कि वैश्विक पहचान बन चुकी है।
गिरमिटिया मजदूर: संस्कृति के सच्चे संरक्षक
प्रधानमंत्री मोदी ने अपने संबोधन में गिरमिटिया मजदूरों की भूमिका को भारतीय संस्कृति के संरक्षक के रूप में बताया। उन्होंने कहा कि भारत से बाहर गए हमारे पूर्वजों ने, चाहे वे जितनी भी कठिन परिस्थितियों में गए हों, अपने साथ संस्कृति, भाषा, गीत, और परंपराएं भी लेकर गए। यही वजह है कि आज मॉरिशस, फिजी, सूरीनाम और त्रिनिदाद जैसे देशों में भी होली, दीपावली, रामायण पाठ और लोकगीत उतने ही उत्साह से मनाए जाते हैं जितने भारत में।
मॉरिशस यात्रा की यादें
प्रधानमंत्री ने हाल ही में संपन्न हुई अपनी मॉरिशस यात्रा का विशेष रूप से उल्लेख किया। उन्होंने वाराणसी के अथर्व कपूर, मुंबई के आर्यश लीखा और अत्रेय मान के भेजे गए संदेशों का जिक्र करते हुए बताया कि गीत-गवई की प्रस्तुति ने उन्हें और श्रोताओं को भावविभोर कर दिया। यह प्रस्तुति भारत के पूर्वी उत्तर प्रदेश और बिहार की पारंपरिक सांस्कृतिक विरासत का जीवंत उदाहरण थी। उन्होंने कहा कि मॉरिशस में भारतीय समुदाय ने जिस तरह भारतीय मूल्यों और परंपराओं को सहेज कर रखा है, वह अद्भुत है।
फिजी और सूरीनाम की चौताल पर चर्चा
कार्यक्रम के दौरान प्रधानमंत्री ने एक लोकगीत का ऑडियो सुनवाया और बताया कि यह चौताल गीत भारत का नहीं, बल्कि फिजी का है। फगुआ चौताल की यह धुन हर श्रोता को जोश और उत्साह से भर देती है। उन्होंने बताया कि इस प्रकार के गीत फिजी, सूरीनाम, त्रिनिदाद और गुयाना जैसे देशों में काफी लोकप्रिय हैं। इन गीतों में भोजपुरी, अवधी, ब्रज और मैथिली जैसी भारतीय भाषाओं का प्रयोग किया जाता है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि भारतीय भाषाएं और संगीत अब भी इन देशों में जीवित हैं।
भारतीय संस्कृति के संवाहक संगठन
प्रधानमंत्री मोदी ने सिंगापुर इंडियन फाइन आर्ट्स सोसाइटी का जिक्र करते हुए बताया कि यह संगठन पिछले 75 वर्षों से भारतीय नृत्य, संगीत और संस्कृति के संरक्षण में जुटा हुआ है। हाल ही में इस संगठन की 75वीं वर्षगांठ के अवसर पर सिंगापुर के राष्ट्रपति थर्मन शनमुगरत्नम ने भी इसकी सराहना की थी। प्रधानमंत्री ने इस संस्था और उससे जुड़े सभी कलाकारों व आयोजकों को बधाई दी।
भारतीय संस्कृति की वैश्विक पहुंच
मोदी ने यह भी बताया कि कैसे भारतीय त्यौहार और सांस्कृतिक गतिविधियां दुनियाभर में मनाई जाती हैं। चाहे होली हो या रामायण पाठ, इन समारोहों में स्थानीय लोग भी भाग लेते हैं, जिससे भारत की सॉफ्ट पावर और सांस्कृतिक प्रभाव का पता चलता है। उन्होंने कहा कि यह सब संभव हो पाया है क्योंकि विदेशों में बसे भारतीय मूल के लोग अपनी जड़ों से जुड़े हुए हैं और उन्होंने अपने बच्चों में भी यह संस्कार रोपे हैं।