
Pradosh vrat 2025 date & muhurat : प्रदोष व्रत भगवान शिव की आराधना का एक बेहद खास अवसर होता है। यह व्रत हर महीने दो बार आता है – एक शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी को और एक कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी को। मान्यता है कि इस दिन भगवान शिव की पूजा करने से जीवन की सारी बाधाएं दूर होती हैं और मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। चैत्र महीने का दूसरा प्रदोष व्रत 27 मार्च को मनाया जाएगा, जो गुरुवार को पड़ रहा है। यह दिन ‘गुरु प्रदोष’ कहलाएगा, और इसका विशेष महत्व होता है।
अगर आप प्रदोष व्रत कर रहे हैं या करने का विचार कर रहे हैं, तो इससे जुड़ी कुछ ज़रूरी बातों को जानना बेहद जरूरी है। यह व्रत केवल व्रत रखने तक सीमित नहीं है, बल्कि इसमें मन, वचन और कर्म की भी पवित्रता का विशेष ध्यान रखना होता है।
प्रदोष व्रत में किन बातों का ध्यान न रखना बन सकता है बाधा?
जब हम किसी व्रत को करते हैं, तो सिर्फ उपवास नहीं बल्कि जीवनशैली में भी बदलाव लाना जरूरी होता है। प्रदोष व्रत में कुछ चीज़ों से दूरी बनाना विशेष रूप से ज़रूरी है, क्योंकि छोटी-सी गलती भी आपके व्रत के प्रभाव को कम कर सकती है।
1. नमक और काले कपड़ों से परहेज ज़रूरी
इस व्रत में शुद्धता सबसे महत्वपूर्ण मानी जाती है। इस दिन नमक का सेवन वर्जित होता है। साथ ही काले रंग के कपड़े न पहनें क्योंकि यह रंग नकारात्मक ऊर्जा का प्रतीक माना जाता है।
2. नकारात्मकता से दूर रहें
प्रदोष व्रत के दिन मन को शांत और सकारात्मक रखना जरूरी है। किसी भी प्रकार के नकारात्मक विचार या भावनाएं व्रत की पवित्रता को प्रभावित करती हैं। इसलिए मन में ईर्ष्या, क्रोध, घृणा जैसी भावनाओं से बचें।
3. वाणी और व्यवहार में संयम रखें
झगड़ा करना, अपशब्द कहना या झूठ बोलना व्रत के फल को निष्फल कर सकता है। इसलिए इस दिन अपने व्यवहार और शब्दों पर नियंत्रण रखें। मीठा बोलें, शांत रहें और सभी से प्रेमपूर्वक व्यवहार करें।
4. ब्रह्मचर्य का पालन करें
शास्त्रों में व्रत के दौरान ब्रह्मचर्य का पालन अत्यंत आवश्यक बताया गया है। इसका अर्थ है कि इस दिन शारीरिक संयम के साथ मानसिक संयम भी बनाए रखें।
5. सात्विक आहार और फलाहार अपनाएं
इस दिन फल, दूध, और जूस जैसे सात्विक आहार का सेवन करें। तामसिक भोजन (जैसे मांस, लहसुन, प्याज आदि) वर्जित है, और जो लोग व्रत नहीं भी कर रहे हों, उन्हें भी इस दिन तामसिक भोजन से बचना चाहिए।
6. शिवलिंग पर ये चीजें कभी न चढ़ाएं
पूजन में अक्सर श्रद्धा से कुछ भी अर्पित कर दिया जाता है, लेकिन शिवलिंग पर कुछ चीज़ें विशेष रूप से नहीं चढ़ाई जातीं:
- टूटे चावल
- हल्दी
- तुलसी
- सिंदूर
- नारियल पानी
इन चीज़ों का प्रयोग वर्जित माना जाता है क्योंकि यह शिव जी की पूजा में अशुद्धि लाता है।
प्रदोष व्रत 27 मार्च 2025: तिथि और पूजा का शुभ मुहूर्त
इस बार चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि 27 मार्च को पड़ रही है। व्रत का समय इस प्रकार है:
- त्रयोदशी तिथि की शुरुआत: 27 मार्च, रात 01:42 बजे
- त्रयोदशी तिथि का समापन: 27 मार्च, रात 11:03 बजे
प्रदोष काल में भगवान शिव की पूजा का शुभ मुहूर्त:
शाम 06:50 बजे से रात 09:11 बजे तक
यह समय बेहद फलदायी माना जाता है, इसलिए भगवान शिव की पूजा इसी समय करें।
प्रदोष व्रत की पूजा विधि: कैसे करें सही पूजा?
प्रदोष व्रत केवल उपवास नहीं, बल्कि एक आध्यात्मिक अनुशासन है। अगर आप इस व्रत को पूरे विधि-विधान से करना चाहते हैं तो नीचे दी गई पूजा विधि को अपनाएं:
1. ब्रह्म मुहूर्त में उठें और स्नान करें
दिन की शुरुआत सबसे शुभ समय यानी ब्रह्म मुहूर्त में करें। पवित्र होकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र पहनें।
2. व्रत का संकल्प लें
शिव जी का ध्यान करते हुए व्रत का संकल्प लें – “हे भगवान शिव, मैं आज का प्रदोष व्रत पूर्ण श्रद्धा और नियमों के साथ करता/करती हूं।”
3. पूजा स्थान को पवित्र करें
जहां पूजा होनी है, वहां गंगाजल छिड़क कर स्थान को शुद्ध करें। पूजा की जगह शांत, साफ-सुथरी और पवित्र होनी चाहिए।
4. शिव परिवार की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें
भगवान शिव, माता पार्वती, गणेश जी, कार्तिकेय और नंदी की मूर्ति या चित्र पूजा स्थल पर रखें।
5. पूजन सामग्री से करें अर्पण
- सफेद चंदन से तिलक करें
- बेल पत्र, सफेद फूल, धतूरा, भांग आदि अर्पित करें
- फल और नैवेद्य अर्पित करें
6. शिव मंत्रों का जाप करें
भगवान शिव के वैदिक मंत्रों का जाप करें जैसे –
“ॐ नमः शिवाय”
“महामृत्युंजय मंत्र” –
ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्।
उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात्॥
7. शिव आरती करें और क्षमा मांगें
आरती करें और अंत में पूजा में अगर कोई त्रुटि हुई हो तो भगवान शिव से क्षमा याचना करें।
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