
वक्फ बोर्ड से जुड़ा विवाद इन दिनों देशभर में चर्चा का विषय बना हुआ है, लेकिन बिहार में इसकी गूंज सबसे ज़्यादा सुनाई दे रही है। वजह साफ है—राज्य में महज़ कुछ ही महीनों बाद विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। विपक्षी दल, खासतौर पर राष्ट्रीय जनता दल (RJD), इस मुद्दे को भुनाने में पूरी ताकत झोंक रहे हैं। तेजस्वी यादव जैसे नेता हर उस आंदोलन का चेहरा बनने को तैयार हैं, जिसमें केंद्र सरकार के खिलाफ आवाज़ उठती हो। ऐसे माहौल में असदुद्दीन ओवैसी की एंट्री ने इस राजनीतिक पारे को और चढ़ा दिया है।
ओवैसी का सीधा निशाना: नीतीश, चिराग और नायडू पर सवाल
AIMIM प्रमुख और हैदराबाद के सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने वक्फ बोर्ड के संशोधन बिल को लेकर नीतीश कुमार, चिराग पासवान और चंद्रबाबू नायडू जैसे नेताओं को खुलेआम चुनौती दे डाली है। उनका कहना है कि अगर ये नेता खुद को मुस्लिम हितैषी बताते हैं, तो उन्हें संसद में अपनी राजनीतिक ताकत का इस्तेमाल करके इस बिल को रुकवाना चाहिए। ओवैसी ने साफ कहा है—अगर यह बिल कानून बन गया, तो मुस्लिम समाज इन नेताओं को उनका 'धोखा' कभी माफ नहीं करेगा।
नीतीश और चिराग के लिए मुश्किल चुनौती
नीतीश कुमार इस समय केंद्र की सरकार में अपनी अहम भूमिका निभा रहे हैं और एक धर्मनिरपेक्ष नेता की छवि भी बनाए हुए हैं। ओवैसी की चुनौती सीधे तौर पर नीतीश से है—अगर वे सच में अल्पसंख्यकों के हितैषी हैं, तो उन्हें इस बिल को पारित होने से रोकना चाहिए। वहीं, चिराग पासवान को भी AIMIM प्रमुख ने नहीं छोड़ा। पासवान, जो फिलहाल केंद्र में मंत्री हैं और अपनी पार्टी के पांच सांसदों के साथ संसद में मौजूद हैं, उनसे भी ओवैसी ने सीधा सवाल किया है—क्या आप धर्मनिरपेक्ष नेता हैं, या सिर्फ नाम के?
सीमांचल बना AIMIM का गढ़, लेकिन झटकों से जूझ रही पार्टी
बिहार का सीमांचल इलाका, जहां मुस्लिम आबादी ज़्यादा है, AIMIM का मुख्य केंद्र बन गया है। यह वही इलाका है, जहां ओवैसी की पार्टी ने अपनी सबसे मजबूत पकड़ बनाई थी। लेकिन पिछले दिनों AIMIM को बड़ा झटका लगा जब उसके चार विधायक RJD में शामिल हो गए। इससे पार्टी की ताकत ज़रूर घटी, लेकिन ओवैसी ने हार नहीं मानी।
चुनाव की तैयारी में जुटी AIMIM, सीमांचल के साथ पूरे बिहार पर नजर
आगामी विधानसभा चुनाव में AIMIM पूरे बिहार में अपने उम्मीदवार उतारने की योजना बना रही है। पार्टी का मुख्य फोकस सीमांचल ज़रूर है, लेकिन अब वो अन्य इलाकों में भी अपनी उपस्थिति दर्ज कराना चाहती है। ओवैसी की यह रणनीति नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव दोनों के लिए बड़ी चुनौती साबित हो सकती है। AIMIM की कोशिश है कि वह मुस्लिम वोट बैंक को अपनी तरफ खींचे और बाकी दलों को बैकफुट पर ला दे।