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North Korea Kim Jong Un Enemy : दक्षिण कोरिया की राजनीति में एक बड़ा मोड़ तब आया जब देश के पूर्व राष्ट्रपति यून सूक येओल के खिलाफ अदालत ने महाभियोग को सही ठहराते हुए उनके पद से हटने का आदेश दिया। यून सूक येओल, जो उत्तर कोरिया के तानाशाह किम जोंग उन के कट्टर विरोधी माने जाते हैं, अब सत्ता से बाहर हो गए हैं और उनका राजनीतिक भविष्य अधर में लटक गया है।

मार्शल लॉ लागू करने पर हुई बड़ी कार्रवाई

अदालत ने अपने फैसले में यह स्पष्ट कर दिया कि यून सूक येओल ने मार्च 2024 में देशव्यापी विरोध प्रदर्शनों को दबाने के लिए दक्षिण कोरिया में मार्शल लॉ लागू किया था, जो पूरी तरह से असंवैधानिक कदम माना गया। इस फैसले के बाद उन्हें न सिर्फ पद से हटना पड़ा, बल्कि उनके खिलाफ पहले से चल रहे देशद्रोह के मुकदमे भी अब और गंभीर रूप ले सकते हैं।

क्या अब राजनीति से विदाई तय है?

स्थानीय मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, अगला कदम नए राष्ट्रपति का चुनाव होगा, जो यून के भविष्य को भी तय करेगा। हालांकि यून को फिलहाल कुछ राहत मिली हुई है, लेकिन यह राहत अस्थायी मानी जा रही है। विश्लेषकों का मानना है कि जल्द ही उनके खिलाफ कठोर कानूनी कार्रवाई हो सकती है।

उत्तर कोरिया के खिलाफ कड़ा रुख बना बड़ा कारण

यून सूक येओल ने अपने कार्यकाल में उत्तर कोरिया और उसके नेता किम जोंग उन के खिलाफ खुलकर कड़े बयान दिए थे। उन्होंने अमेरिका के साथ मिलकर कई रणनीतियां बनाईं, जिससे उत्तर कोरिया पर दबाव बनाया जा सके। लेकिन अब, खुद उनके देश में हालात ऐसे बन गए कि वे राजनीतिक रूप से अकेले पड़ गए।

यून सूक येओल: एक वकील से राष्ट्रपति तक का सफर

यून सूक येओल का जन्म दक्षिण कोरिया की राजधानी सियोल में हुआ था। यहीं उन्होंने अपनी शिक्षा पूरी की और बाद में वकालत में करियर शुरू किया। साल 2019 में वे देश के महाधिवक्ता बने और यहीं से उनकी राजनीतिक यात्रा की शुरुआत हुई। उन्होंने कानून के क्षेत्र में अपने कड़े फैसलों से पहचान बनाई और 2022 में दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति बने।

जनता के विरोध के आगे झुकना पड़ा

2024 में यून के खिलाफ देशभर में विरोध प्रदर्शन तेज हो गए। उन्होंने इसे कुचलने के लिए देश में मार्शल लॉ लागू कर दिया, लेकिन इससे जनता का गुस्सा और भड़क गया। अंततः उन्हें पद छोड़ना पड़ा और अब एक कार्यवाहक राष्ट्रपति देश की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं।

नया अध्याय या अंत?

अदालत के फैसले के बाद यून सूक येओल के लिए यह एक कठिन समय है। एक तरफ उन्हें कानून के कठघरे का सामना करना पड़ रहा है, तो दूसरी तरफ उनकी राजनीतिक विरासत पर भी सवाल खड़े हो गए हैं। अब देखना होगा कि क्या यून राजनीति में वापसी कर पाएंगे या फिर उनका यह सफर यहीं समाप्त हो जाएगा।


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