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इंग्लैंड के खिलाफ चल रही टी20 सीरीज में भारतीय टीम ने अब तक 2-1 से बढ़त बना ली है। हालांकि, तीसरे मुकाबले में मोहम्मद शमी को प्लेइंग इलेवन से बाहर रखा गया, और इंग्लैंड ने वह मैच जीत लिया। इस फैसले को लेकर फैंस और क्रिकेट विशेषज्ञों के बीच चर्चा गर्म है। इसी बीच, भारतीय तेज गेंदबाज मोहम्मद शमी ने एक पुराने मुद्दे को उठाते हुए विराट कोहली और तत्कालीन कोच रवि शास्त्री को लेकर अपनी नाराजगी जाहिर की है।          

 

विराट कोहली और रवि शास्त्री पर मोहम्मद शमी का गुस्सा

हाल ही में पूर्व भारतीय क्रिकेटर अमित मिश्रा और अंबाती रायडू ने भी विराट कोहली को लेकर बयान दिया था। अब मोहम्मद शमी ने 2019 वर्ल्ड कप के चयन और उनके प्रदर्शन को लेकर खुलकर बात की है।

शमी ने कहा,
"मुझे 2019 वनडे वर्ल्ड कप के लिए टीम में चुना गया था। मैंने चार मैच खेले और उनमें 14 विकेट लिए। इसके बावजूद मुझे बाकी पांच मैचों में मौका नहीं दिया गया। उस समय विराट कोहली कप्तान थे और रवि शास्त्री मुख्य कोच थे। मैं इस पर सवाल नहीं उठाना चाहता, लेकिन अगर मुझे न्यूजीलैंड के खिलाफ सेमीफाइनल में खेलने का मौका मिलता, तो शायद हम जीत सकते थे।"                                    

 

सेमीफाइनल में नहीं खेलने का मलाल

शमी का यह बयान उनके उस दर्द को दर्शाता है, जो उन्हें 2019 वर्ल्ड कप के दौरान झेलना पड़ा था। सेमीफाइनल में न्यूजीलैंड के खिलाफ हारने के बाद से ही कई क्रिकेट विशेषज्ञों ने सवाल उठाए थे कि इन-फॉर्म शमी को प्लेइंग इलेवन से बाहर क्यों रखा गया। उन्होंने ग्रुप स्टेज में शानदार प्रदर्शन किया था, जिसमें अफगानिस्तान के खिलाफ हैट्रिक भी शामिल थी। बावजूद इसके, सेमीफाइनल जैसे अहम मुकाबले में उन्हें मौका नहीं दिया गया।                 

 

क्या यह विराट कोहली की रणनीतिक चूक थी?

शमी के बयान के बाद क्रिकेट पंडितों और फैंस के बीच एक नई बहस छिड़ गई है। कई लोगों का मानना है कि विराट कोहली और टीम मैनेजमेंट की गलत रणनीति की वजह से भारत को हार का सामना करना पड़ा। वहीं, कुछ लोग इसे टीम संयोजन का हिस्सा मानते हैं।                            

 

क्या शमी को अब भी महसूस होती है नाराजगी?

शमी का यह बयान दर्शाता है कि वह अब भी 2019 वर्ल्ड कप में अपने साथ हुए व्यवहार को भूले नहीं हैं। हालांकि, उन्होंने सीधे तौर पर विराट कोहली या रवि शास्त्री पर कोई आरोप नहीं लगाया, लेकिन उनके शब्दों से साफ झलकता है कि वह इस फैसले से सहमत नहीं थे।