img

बुधवार सुबह प्रयागराज के संगम क्षेत्र में मौनी अमावस्या स्नान के दौरान मची भगदड़ में कई श्रद्धालु हताहत हो गए। यह हादसा तब हुआ जब लाखों भक्त गंगा, यमुना और पौराणिक सरस्वती के त्रिवेणी संगम पर पवित्र स्नान के लिए उमड़े थे।

उत्तर प्रदेश सरकार ने अभी तक हताहतों की आधिकारिक संख्या जारी नहीं की है, लेकिन मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, इस दुर्घटना में 10 से अधिक लोगों की मौत हो गई है और कई अन्य घायल हुए हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने घटना पर शोक व्यक्त किया है और घायलों के शीघ्र स्वस्थ होने की कामना की है।

मौनी अमावस्या और कुंभ मेले का महत्व

मौनी अमावस्या कुंभ मेले के दौरान एक बेहद महत्वपूर्ण दिन माना जाता है। इस दिन को आध्यात्मिक शुद्धि, आंतरिक मौन और गहरी भक्ति का प्रतीक माना जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, मौनी अमावस्या के दिन संगम में डुबकी लगाने से सारे पाप धुल जाते हैं और आत्मा को शुद्धि मिलती है।

इस अवसर पर लाखों श्रद्धालु, संत और साधु अखाड़ों के साथ संगम क्षेत्र में स्नान के लिए एकत्रित होते हैं। स्नान से पहले एक भव्य जुलूस निकाला जाता है, जिसे "शाही स्नान" कहा जाता है। इस दौरान श्रद्धालु अपने आराध्य संतों और गुरुओं के सानिध्य में पवित्र अनुष्ठान करते हैं।

कैसे हुई भगदड़?

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के अनुसार, यह भगदड़ रात 1 से 2 बजे के बीच अखाड़ा मार्ग पर हुई। बताया जा रहा है कि कुछ श्रद्धालु बैरिकेड्स पार करने की कोशिश कर रहे थे, जिससे अफरा-तफरी मच गई और भगदड़ जैसी स्थिति पैदा हो गई।

घटना से जुड़े प्रमुख बिंदु:

 घटना रात 1 से 2 बजे के बीच हुई।
 श्रद्धालुओं की भीड़ बैरिकेड्स तोड़कर आगे बढ़ने की कोशिश कर रही थी।
 भीड़ बढ़ने से कुछ लोग गिर पड़े, जिससे भगदड़ मच गई।
 इस दौरान पुलिस और प्रशासन हालात संभालने में असमर्थ रहा।

घटना स्थल का दृश्य: अफरा-तफरी और दहशत

भगदड़ के बाद पूरा संगम क्षेत्र अफरा-तफरी में बदल गया। घायलों को एंबुलेंस और स्ट्रेचर पर ले जाया जा रहा था, वहीं जगह-जगह श्रद्धालुओं का सामान बिखरा पड़ा था।

चश्मदीदों के अनुसार, "मंत्रों के जाप और भजन-कीर्तन के बीच अचानक पुलिस और एंबुलेंस के सायरन गूंजने लगे।" कई श्रद्धालु अपनों को ढूंढते हुए रोते-बिलखते नजर आए।

स्थानीय लोगों ने भी घायलों की मदद की और राहत कार्य में सहयोग दिया। प्रशासन ने भीड़ को नियंत्रित करने के लिए सुरक्षाबलों को तैनात किया और संगम जाने वाले कई रास्तों को अस्थायी रूप से बंद कर दिया।

संतों और अखाड़ों का स्नान स्थगित

घटना के बाद, अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद ने शाही स्नान को स्थगित करने का फैसला लिया है। कुंभ परंपराओं के अनुसार, अखाड़ों को त्रिवेणी संगम पर स्नान के लिए एक निर्धारित क्रम में प्रवेश करना होता है, लेकिन भारी भीड़ के कारण इसे रोक दिया गया है।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने आदेश दिया है कि "जब तक भीड़ का दबाव कम नहीं होता, तब तक अखाड़ों का पवित्र स्नान नहीं होगा।" श्रद्धालुओं को संगम के बजाय आसपास के घाटों पर स्नान करने की सलाह दी गई है।

भीड़ नियंत्रण के लिए उठाए गए कदम

 भीड़ को नियंत्रित करने के लिए अतिरिक्त पुलिस बल तैनात किया गया है।
 श्रद्धालुओं को संगम जाने की बजाय अन्य घाटों पर स्नान करने की सलाह दी गई है।
 ड्रोन कैमरों से भीड़ की निगरानी की जा रही है।
 आपातकालीन सेवाओं को हाई अलर्ट पर रखा गया है।

अधिकारियों के अनुसार, इस साल मौनी अमावस्या पर 9-10 करोड़ तीर्थयात्रियों के प्रयागराज में एकत्रित होने की संभावना है, जिससे भीड़ नियंत्रण एक बड़ी चुनौती बन गया है।