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8th Pay Commission News : केंद्र सरकार ने जनवरी में बहुप्रतीक्षित 8वें वेतन आयोग (8th Pay Commission) के गठन की घोषणा कर दी थी। उम्मीद है कि यह नया वेतन आयोग अगले साल की शुरुआत में अपनी सिफारिशें सरकार को सौंप देगा। अब मोदी सरकार द्वारा अगले महीने आयोग के लिए एक चेयरमैन और दो सदस्यों की नियुक्ति की घोषणा किए जाने की संभावना है।

8वें वेतन आयोग की गठन प्रक्रिया तेज़ी से आगे बढ़ रही

8वें केंद्रीय वेतन आयोग (CPC) की गठन प्रक्रिया अब गति पकड़ रही है और सभी संबंधित हितधारक इसके सदस्यों की नियुक्ति का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं। संभावना जताई जा रही है कि अगले महीने इस संबंध में आधिकारिक घोषणा हो सकती है।

सरकार द्वारा वेतन आयोग के गठन की घोषणा के बाद से ही सरकारी कर्मचारियों और पेंशनभोगियों के लिए वेतन और पेंशन में संशोधन को लेकर कयास लगाए जा रहे हैं। खासकर फिटमेंट फैक्टर को लेकर चर्चा तेज़ हो गई है। हालांकि, वेतन आयोग सिर्फ वेतन वृद्धि तक ही सीमित नहीं होता, बल्कि सरकारी कर्मचारियों को मिलने वाले विभिन्न भत्तों और अन्य सुविधाओं की भी समीक्षा करता है।

क्या बदल सकते हैं भत्ते?

रिपोर्टों के मुताबिक, 8वां वेतन आयोग पुराने और अप्रासंगिक भत्तों को समाप्त कर सकता है या कुछ नए भत्ते जोड़ सकता है। 7वें वेतन आयोग के समय भी कई भत्तों को हटा दिया गया था। यह देखना दिलचस्प होगा कि इस बार कर्मचारियों को किन नए लाभों की सौगात मिलती है।

7वें वेतन आयोग के प्रमुख बदलाव

7वें वेतन आयोग ने कुल 196 भत्तों की समीक्षा की थी, जिनमें से केवल 95 भत्तों को मंजूरी दी गई, जबकि 101 भत्तों को पूरी तरह समाप्त कर दिया गया। कुछ भत्तों को अन्य भत्तों में मिला दिया गया, और कुछ को आयोग की अंतिम रिपोर्ट में शामिल ही नहीं किया गया।

वेतन संशोधन के संदर्भ में, 7वें वेतन आयोग ने 2.57 के फिटमेंट फैक्टर के साथ वेतन वृद्धि की सिफारिश की। इससे न्यूनतम वेतन 18,000 रुपये और अधिकतम वेतन 2,25,000 रुपये कर दिया गया था।

8वें वेतन आयोग की ताजा अपडेट

8वें वेतन आयोग की Terms of Reference (ToR) यानी कामकाज की रूपरेखा अप्रैल 2025 तक तय की जा सकती है। इसके बाद सरकार आयोग के अध्यक्ष और सदस्यों के नाम को अंतिम रूप देगी।

एक बार जब 8वां वेतन आयोग गठित हो जाएगा, तो इसे अपनी रिपोर्ट तैयार करने में लगभग एक साल का समय लग सकता है। इस दौरान आयोग विभिन्न सरकारी कर्मचारियों के प्रतिनिधियों से बातचीत करेगा और उनकी मांगों को समझने के बाद अपनी सिफारिशें सरकार को सौंपेगा।