Supreme Court observation on deleting messages from phone:आजकल स्मार्टफोन और सोशल मीडिया के दौर में चैटिंग और मैसेजिंग हमारे रोजमर्रा के जीवन का अहम हिस्सा बन गए हैं। लेकिन कई बार हम निजी या संवेदनशील चैट्स को डिलीट भी कर देते हैं। सवाल यह उठता है कि क्या मोबाइल फोन से चैट मैसेज डिलीट करना अपराध की श्रेणी में आता है? इस संदर्भ में सुप्रीम कोर्ट का फैसला जानना बेहद जरूरी है।
चैट डिलीट करना: क्या है कानून का नजरिया?
सुप्रीम कोर्ट के अनुसार, किसी व्यक्ति के मोबाइल फोन से चैट या मैसेज डिलीट करना अपराध नहीं माना जा सकता, जब तक कि यह किसी कानूनी जांच या अदालत के निर्देश के तहत मांगे गए सबूत को नष्ट करने के उद्देश्य से न किया गया हो। व्यक्तिगत चैट्स और मैसेजेस को डिलीट करना निजता का हिस्सा है और कानून इसका सम्मान करता है।
कब बन सकता है अपराध?
सबूत मिटाना: अगर किसी मामले की जांच चल रही है और आपसे जांच एजेंसी या अदालत द्वारा आपके फोन की जानकारी मांगी गई है, तो उस स्थिति में चैट डिलीट करना सबूत मिटाने के तहत अपराध माना जा सकता है।
आईटी एक्ट और धारा 204 IPC: भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 204 के तहत, किसी महत्वपूर्ण दस्तावेज या इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड को जानबूझकर नष्ट करना, जिसे कोर्ट या किसी कानूनी प्रक्रिया में सबूत के रूप में पेश करना हो, अपराध की श्रेणी में आता है।
कानूनी नोटिस या वारंट के तहत: अगर अदालत द्वारा आपको नोटिस या वारंट जारी किया गया है और उसमें चैट्स की जानकारी देने के लिए कहा गया है, तो इन्हें डिलीट करना कानूनी कार्रवाई में बाधा उत्पन्न करने के रूप में देखा जा सकता है।
सुप्रीम कोर्ट का रुख
सुप्रीम कोर्ट ने कई मामलों में स्पष्ट किया है कि किसी भी व्यक्ति का मोबाइल या इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस उसकी निजी संपत्ति है, और उसकी निजता का अधिकार है। लेकिन, जब यह मामला न्यायिक प्रक्रिया से जुड़ा होता है, तब उसे सबूत के रूप में पेश करना पड़ता है। ऐसे में जानबूझकर चैट डिलीट करना, सबूत छिपाने या मिटाने की मंशा दर्शाता है, जो कि कानून का उल्लंघन है।
क्या करें और क्या न करें?
निजी चैट्स के मामले में: अगर आपकी चैट्स किसी अपराध या जांच से जुड़ी नहीं हैं, तो उन्हें डिलीट करना पूरी तरह से आपके अधिकार में है।
कानूनी जांच के मामले में: अगर आपके खिलाफ कोई जांच चल रही है या आपको नोटिस मिला है, तो चैट्स और मैसेज को डिलीट करने से बचें। यह आपको कानूनी मुसीबत में डाल सकता है।
डेटा बैकअप: महत्वपूर्ण मैसेजेस और चैट्स का बैकअप रखें, खासकर अगर वे किसी कानूनी प्रक्रिया का हिस्सा बन सकते हैं।
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