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इंफोसिस के सह-संस्थापक नारायण मूर्ति ने हाल ही में भारत में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) को लेकर बढ़ते ट्रेंड पर अपनी राय साझा की। उन्होंने कहा कि AI के बारे में बात करना अब एक फैशन बन गया है और इस क्षेत्र में बहुत सी चीजें बिना ठोस आधार के प्रचारित की जा रही हैं।

AI के नाम पर हो रहा है गैर-जरूरी प्रचार

मुंबई में आयोजित TiEcon 2025 कार्यक्रम में बोलते हुए नारायण मूर्ति ने कहा,

"मुझे लगता है कि भारत में हर चीज के लिए AI की बात करना एक फैशन बन गया है। मैंने कई सामान्य, साधारण कार्यक्रमों को AI के रूप में प्रचारित होते देखा है।"

उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि अधिकतर तथाकथित AI तकनीकें वास्तव में पुरानी और अपरिपक्व हैं, जिन्हें अनावश्यक रूप से AI का टैग दिया जा रहा है।

मशीन लर्निंग और डीप लर्निंग का मूलभूत अंतर

मूर्ति ने AI के दो मुख्य स्तंभों – मशीन लर्निंग और डीप लर्निंग के बारे में भी चर्चा की।

  • मशीन लर्निंग (ML): उन्होंने इसे "को-रिलेशन का एक बड़ा सेट" बताया, जो भारी मात्रा में डेटा के आधार पर भविष्यवाणियां करने में मदद करता है।
  • डीप लर्निंग (DL): यह मानव मस्तिष्क की कार्यप्रणाली से प्रेरित होती है और अनसुपरवाइज्ड एल्गोरिदम के जरिए फैसले लेती है।

उन्होंने आगे बताया कि डीप लर्निंग खुद को विकसित कर सकती है और नए पैटर्न बना सकती है, जिससे यह बेहतर फैसले लेने में सक्षम होती है।

आज के AI मॉडल कितने कारगर?

नारायण मूर्ति ने AI के मौजूदा स्तर पर सवाल उठाते हुए कहा,

"मुझे लगता है कि आज की तथाकथित AI चीजें ज्यादातर मूर्खतापूर्ण और पुराने प्रोग्राम्स हैं।"

उन्होंने बताया कि वर्तमान AI सिस्टम केवल डेटा प्रोसेसिंग और ऑटोमेशन तक सीमित हैं और वास्तविक बुद्धिमत्ता या सोचने-समझने की क्षमता अभी भी उनसे बहुत दूर है।

रोजगार पर AI का प्रभाव

नौकरियों पर AI के प्रभाव को लेकर मूर्ति ने संतुलित दृष्टिकोण अपनाने की बात कही। उन्होंने कहा कि तकनीकी प्रगति से कुछ नौकरियां खत्म होंगी, लेकिन इससे नई नौकरियां भी उत्पन्न हो सकती हैं।

"हर टेक्नोलॉजी के आने पर कुछ नौकरियां खत्म हो जाती हैं, लेकिन अगर इसे सहायक तरीके से लागू किया जाए, तो यह अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ाने में मदद कर सकता है।"

उन्होंने उदाहरण देते हुए बताया कि यदि AI का उपयोग ट्रांसपोर्ट, हेल्थकेयर या अन्य क्षेत्रों में सही तरीके से किया जाए, तो इससे नई नौकरियां उत्पन्न हो सकती हैं और कंपनियों का विस्तार हो सकता है।