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Pradosh Vrat Puja : हिंदू धर्म में प्रदोष व्रत का विशेष महत्व माना जाता है। यह व्रत भगवान शिव की उपासना के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है। हिंदू पंचांग के अनुसार, यह व्रत हर महीने दो बार आता है—एक बार कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी को और दूसरी बार शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी को। धार्मिक मान्यता है कि इस दिन भगवान शिव की पूजा करने से जीवन के कष्ट, दुख और परेशानियां कम हो जाती हैं। खास बात यह है कि इस व्रत की पूजा संध्या के समय की जाती है, जिसे प्रदोष काल कहा जाता है। कहा जाता है कि इस समय शिवजी की कृपा शीघ्र प्राप्त होती है। आइए जानते हैं कि प्रदोष व्रत की पूजा शाम को ही क्यों की जाती है और इसकी विधि क्या है।

शाम के समय पूजा क्यों जरूरी है?

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, प्रदोष काल यानी सूर्यास्त से लेकर रात के पहले प्रहर तक का समय सबसे शुभ माना जाता है। मान्यता है कि इसी समय भगवान शिव तांडव नृत्य करते हैं और इस दौरान की गई पूजा से साधकों को मनचाहा फल मिलता है।

इसके अलावा, हिंदू शास्त्रों में यह भी कहा गया है कि शाम का समय दिन और रात के मिलने का समय होता है, जिसे संधिकाल भी कहते हैं। इस समय ब्रह्मांड की ऊर्जा सबसे अधिक सक्रिय होती है, जिससे इस समय की गई पूजा का असर शीघ्र होता है। यही कारण है कि प्रदोष व्रत की पूजा संध्या के समय करने से मनचाही सफलता, सुख-समृद्धि और शांति प्राप्त होती है।

कैसे करें प्रदोष व्रत की पूजा?

धार्मिक मान्यता के अनुसार, प्रदोष व्रत की पूजा विधिपूर्वक करने से भगवान शिव अत्यंत प्रसन्न होते हैं और साधक को उनकी असीम कृपा प्राप्त होती है। इस व्रत को सही विधि से करने के लिए निम्नलिखित नियमों का पालन करें:

1. व्रत की शुरुआत कैसे करें?

प्रदोष व्रत के दिन प्रातः काल जल्दी उठें और स्नान करें।

इसके बाद व्रत रखने का संकल्प लें और भगवान शिव का ध्यान करें।

पूरे दिन सात्त्विक भोजन करें और मन को शांत एवं स्थिर बनाए रखें।

2. पूजा विधि

  • संध्या के समय शिवलिंग का अभिषेक करें।
  • भगवान शिव को बेलपत्र, धतूरा, भांग, चंदन और अक्षत अर्पित करें।
  • ‘ॐ नमः शिवाय’ मंत्र का जाप करें और शिव आरती करें।
  • प्रदोष व्रत कथा सुनें, जिससे व्रत का संपूर्ण फल प्राप्त होता है।
  • पूजा के पश्चात भगवान शिव को फल, मिठाई और पंचामृत का भोग लगाएं।
  • अंत में प्रसाद ग्रहण करें और सभी में प्रसाद वितरित करें।

3. भोजन कैसा होना चाहिए?

  • रात में हल्का और सात्त्विक भोजन करें।
  • बिना लहसुन-प्याज का भोजन करना चाहिए।
  • फलाहार का अधिक सेवन करना उत्तम माना जाता है।

प्रदोष व्रत में कौन-कौन से मंत्र लाभकारी होते हैं?

अगर आप भगवान शिव की विशेष कृपा पाना चाहते हैं तो प्रदोष व्रत के दिन निम्नलिखित शिव मंत्रों का जाप अवश्य करें:

  1. महामृत्युंजय मंत्र – जीवन में आने वाली बाधाओं को दूर करने के लिए।
  2. शिव तांडव स्तोत्र – भगवान शिव के विशेष आशीर्वाद के लिए।
  3. शिव पंचाक्षर स्तोत्र – सुख-समृद्धि और शांति के लिए।
  4. षडाक्षर स्तोत्र – मानसिक शांति और आध्यात्मिक शक्ति के लिए।

इन मंत्रों का जाप करने से न केवल मन को शांति मिलती है बल्कि जीवन की अनेक परेशानियां भी समाप्त होती हैं।