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डोनाल्ड ट्रंप के अमेरिका की सत्ता में आने के बाद से इमिग्रेशन को लेकर अमेरिकी सरकार की नीति सख्त होती जा रही है। जो पहले केवल एक चर्चा थी, अब वो ज़मीन पर हकीकत बन चुकी है। अब यह सिर्फ अवैध अप्रवासियों के खिलाफ नहीं बल्कि कानूनी दस्तावेज़ों के साथ रह रहे लाखों अप्रवासियों के लिए भी एक चिंता का कारण बन गई है।

ग्रीन कार्ड पर उपराष्ट्रपति जेडी वांस का बयान और भारतीयों की चिंता

हाल ही में अमेरिका के उपराष्ट्रपति जेडी वांस ने कहा, "ग्रीन कार्ड का मतलब यह नहीं कि किसी व्यक्ति को अमेरिका में अनिश्चित काल तक रहने का अधिकार मिल गया है।" यह बयान एक तरह से स्पष्ट संकेत है कि स्थायी निवास की स्थिति अब पहले जैसी स्थिर नहीं रही। इस बयान ने लाखों भारतीय मूल के अप्रवासियों को चिंता में डाल दिया है। वो भारतीय जो दशकों से ग्रीन कार्ड होल्डर हैं या जिनके पास H-1B या F-1 वीज़ा है, अब खुद को सुरक्षित नहीं मान पा रहे।

सख्ती का दायरा: कौन जांच के घेरे में है

अब चाहे कोई छात्र हो, पेशेवर या स्थायी निवासी – सभी अब अमेरिका में वापसी के वक्त कड़ी जांच के दायरे में हैं। अमेरिका की इमिग्रेशन एजेंसियां, जैसे:

यूएस सिटिजनशिप एंड इमिग्रेशन सर्विसेज (USCIS)

इमिग्रेशन एंड कस्टम इन्फोर्समेंट (ICE)

डिपार्टमेंट ऑफ होमलैंड सिक्योरिटी (DHS)

कस्टम्स एंड बॉर्डर प्रोटेक्शन (CBP)

...अब बेहद बारीकी से निगरानी कर रही हैं कि कौन अमेरिका से बाहर जा रहा है और कौन लौट रहा है।

बढ़ती जांच: ग्रीन कार्ड और वीजा होल्डर्स पर असर

अब यह सोचकर राहत नहीं मिलती कि “हमारे पास तो ग्रीन कार्ड है” या “H-1B वीजा वैध है।” अब इन वैध दस्तावेजों के साथ भी यात्रियों को कड़ी जांच से गुजरना पड़ सकता है। खासकर जब वे अमेरिका से बाहर जाकर लौटते हैं।

वकीलों का कहना है कि वीजा स्टैम्पिंग में भारी बैकलॉग है और अमेरिकी दूतावासों में भी अपॉइंटमेंट्स मिलने में महीनों का समय लग सकता है। बहुत से अप्रवासी, जिनके पास उचित दस्तावेज हैं, उन्हें भी सेकेंडरी इंस्पेक्शन, यानी विशेष पूछताछ का सामना करना पड़ता है।

यह स्थिति सिर्फ अमेरिका की सीमाओं पर ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया में फैले अमेरिकी दूतावासों और कांसुलेट्स में भी देखी जा सकती है। ट्रंप प्रशासन के नए नियमों ने इमिग्रेशन प्रक्रिया को जटिल बना दिया है।

यात्रा से पहले ज़रूरी दस्तावेज़ और चेकलिस्ट

इमिग्रेशन वकीलों ने खासतौर से भारतीय ग्रीन कार्ड और H-1B/F-1 वीजा होल्डर्स के लिए एक जरूरी चेकलिस्ट जारी की है, ताकि वे यात्रा करते समय किसी भी परेशानी से बच सकें:

पासपोर्ट जो वैध हो

बिना एक्सपायरी के वैध ग्रीन कार्ड (I-551)

वैध H-1B या F-1 वीजा

US री-एंट्री परमिट (जहां ज़रूरी हो)

रोजगार का वेरिफिकेशन लेटर

पिछले साल के टैक्स डाक्यूमेंट्स – W-2 और इनकम प्रूफ

हाल की तीन महीनों की पे स्लिप्स

कॉलेज या यूनिवर्सिटी का वैध लेटर (F-1 वीजा होल्डर्स के लिए)

एक अमेरिकी बैंक अकाउंट का डॉक्यूमेंट

वैध अमेरिकी ड्राइविंग लाइसेंस

विदेश यात्रा से पहले की सावधानियां: एक्सपर्ट्स की सलाह

अब यह केवल डॉक्यूमेंट्स तक सीमित नहीं है। यात्रियों को मानसिक रूप से भी तैयार रहने की जरूरत है, खासकर जो लंबे समय बाद अमेरिका लौट रहे हैं:

कस्टम्स और बॉर्डर प्रोटेक्शन द्वारा लंबी पूछताछ के लिए तैयार रहें

प्रक्रिया में शांत रहें और पूरा सहयोग करें

सेकेंडरी इंस्पेक्शन में दो घंटे से ज्यादा का वक्त लग सकता है

छह महीने से अधिक समय तक अमेरिका से बाहर रहने पर जांच और गहरी हो सकती है

वीजा या ग्रीन कार्ड एक्सपायर होने से पहले उसे रिन्यू करवा लें

ग्रीन कार्ड रद्द होने की स्थिति में USCIS या इमिग्रेशन कोर्ट में अपील का विकल्प खुला है

F-1 से H-1B पर ट्रांज़िशन करने वालों को विस्तारित जांच का सामना करना पड़ सकता है

जिनका H-1B वीजा एक साल से पहले एक्सपायर हुआ है और उन्होंने रिन्यू के लिए आवेदन किया है, उन्हें अतिरिक्त सवालों का सामना करना पड़ सकता है


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