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Surya Grahan 2025 : साल का पहला सूर्य ग्रहण जल्द ही लगने वाला है. ऐसे में यहां जानिए यह किस तरह का सूर्य ग्रहण होगा, इसे संसार के किन-किन हिस्सों से देखा जा सकेगा और इसका सूतक काल भारत में लगेगा या नहीं

1. सूर्य ग्रहण: एक अद्भुत खगोलीय घटना

सूर्य ग्रहण एक विशेष खगोलीय घटना होती है, जब चंद्रमा पृथ्वी और सूर्य के बीच आकर सूर्य की रोशनी को आंशिक या पूर्ण रूप से ढक लेता है। यह घटना तब घटती है जब सूर्य, चंद्रमा और पृथ्वी एक सीधी रेखा में आ जाते हैं। सूर्य ग्रहण तीन प्रकार के होते हैं – पूर्ण सूर्य ग्रहण, आंशिक सूर्य ग्रहण और वलयाकार सूर्य ग्रहण। इन सभी में सूर्य की रोशनी किसी न किसी रूप में छिप जाती है, जो इसे देखने वाले लोगों के लिए एक रहस्यमय और रोमांचक अनुभव बनाता है।

2. 29 मार्च 2025: साल का पहला सूर्य ग्रहण

साल 2025 का पहला सूर्य ग्रहण 29 मार्च को लगने वाला है, जो शनिवार का दिन होगा। यह एक आंशिक सूर्य ग्रहण होगा। भारत के समयानुसार यह सूर्य ग्रहण दोपहर 2 बजकर 20 मिनट पर शुरू होगा और अपने चरम पर दोपहर 4 बजकर 17 मिनट पर पहुंचेगा। इसका समापन शाम 6 बजकर 16 मिनट पर होगा। यह पूरा समय सूर्य ग्रहण की खगोलीय गतिविधियों के लिए निर्धारित है।

3. क्या यह सूर्य ग्रहण भारत में दिखाई देगा?

29 मार्च को होने वाला यह सूर्य ग्रहण भारत में नहीं देखा जा सकेगा। चूंकि यह आंशिक सूर्य ग्रहण है, इसलिए इसकी रेखीय स्थिति इस प्रकार नहीं है कि भारत में यह दृश्य रूप से नजर आ सके। ग्रहण का वह भाग जो चंद्रमा द्वारा सूर्य को ढकता है, भारत की दृष्टि से उस समय उपलब्ध नहीं होगा। अतः खगोल विज्ञान के नजरिए से यह ग्रहण भारत के निवासियों के लिए अप्रत्यक्ष ही रहेगा।

4. किन देशों में नजर आएगा यह सूर्य ग्रहण?

यह आंशिक सूर्य ग्रहण कुछ विशेष क्षेत्रों में ही दिखाई देगा। इनमें मुख्य रूप से नॉर्थर्न क्यूबेक, ईस्टर्न और नॉर्थर्न कनाडा, उत्तर-पूर्वी अमेरिका, साइबेरिया, अफ्रीका के कुछ क्षेत्र, कैरिबियन द्वीप और यूरोप के कुछ हिस्से शामिल हैं। इन स्थानों से लोग आंशिक रूप से सूर्य को ढका हुआ देख सकेंगे। कुछ द्वीप क्षेत्रों में इसका प्रभाव बेहद सीमित रहेगा, जहां ग्रहण का कवरेज काफी कम रहेगा।

5. आंशिक सूर्य ग्रहण क्या होता है?

आंशिक सूर्य ग्रहण वह स्थिति होती है जब चंद्रमा सूर्य और पृथ्वी के बीच आता तो है, लेकिन वह सूर्य को पूरी तरह नहीं ढक पाता। इस स्थिति में सूर्य का केवल एक हिस्सा चंद्रमा के पीछे छिपता है और बाकी भाग स्पष्ट रूप से चमकता रहता है। इससे सूर्य की रोशनी पूरी तरह बंद नहीं होती, लेकिन उस विशेष क्षण में कुछ क्षेत्रों में प्रकाश की तीव्रता में कमी महसूस की जा सकती है। यह घटना भले ही पूरी तरह से अंधकार न लाए, परंतु इसका दृश्य प्रभाव बेहद खास होता है।