
Surya Grahan 2025 : साल का पहला सूर्य ग्रहण जल्द ही लगने वाला है. ऐसे में यहां जानिए यह किस तरह का सूर्य ग्रहण होगा, इसे संसार के किन-किन हिस्सों से देखा जा सकेगा और इसका सूतक काल भारत में लगेगा या नहीं.
सूर्य ग्रहण क्या है?
सूर्य ग्रहण एक बेहद खास खगोलीय घटना है, जो तब होती है जब चंद्रमा, पृथ्वी और सूर्य के बीच आ जाता है। इस स्थिति में चंद्रमा सूर्य के प्रकाश को पृथ्वी तक पहुंचने से रोक देता है, जिससे सूर्य पूरी तरह या आंशिक रूप से ढक जाता है। यह नजारा आसमान में एक रहस्यमयी चमत्कार की तरह लगता है।
सूर्य ग्रहण तीन प्रकार के होते हैं –
पूर्ण सूर्य ग्रहण (Total Solar Eclipse) – जब चंद्रमा पूरी तरह सूर्य को ढक लेता है।
आंशिक सूर्य ग्रहण (Partial Solar Eclipse) – जब चंद्रमा सूर्य का कुछ हिस्सा ही ढकता है।
वलयाकार सूर्य ग्रहण (Annular Solar Eclipse) – जब सूर्य के चारों ओर एक रिंग जैसी आकृति दिखाई देती है।
2025 का पहला सूर्य ग्रहण कब लगेगा?
साल 2025 का पहला सूर्य ग्रहण 29 मार्च, शनिवार को पड़ेगा।
भारत के समयानुसार:
शुरुआत: दोपहर 2:20 बजे
चरम अवस्था: शाम 4:17 बजे
समाप्ति: शाम 6:16 बजे
यह सूर्य ग्रहण आंशिक सूर्य ग्रहण होगा यानी सूर्य का केवल कुछ भाग ही ढकेगा।
भारत से सूर्य ग्रहण दिखेगा या नहीं?
29 मार्च 2025 का यह आंशिक सूर्य ग्रहण भारत से दिखाई नहीं देगा। इसका मुख्य कारण यह है कि जब सूर्य और चंद्रमा का अलाइनमेंट होगा, तब सूर्य भारत से अस्त हो चुका होगा। इस वजह से भारत में यह ग्रहण दृश्य नहीं होगा। इसलिए भारतवासी इस अद्भुत खगोलीय घटना का सीधा अनुभव नहीं कर पाएंगे।
कहां-कहां से दिखेगा सूर्य ग्रहण?
यह आंशिक सूर्य ग्रहण कुछ खास देशों से ही नजर आएगा। इसमें मुख्य रूप से शामिल हैं:
नॉर्थर्न क्यूबेक
ईस्टर्न और नॉर्थर्न कनाडा
नॉर्थईस्टर्न यूनाइटेड स्टेट्स
साइबेरिया
कैरिबियन के कुछ हिस्से
अफ्रीका का उत्तरी क्षेत्र
यूरोप के कुछ इलाके
इन क्षेत्रों में लोग ग्रहण को अलग-अलग प्रतिशत में देख पाएंगे। हालांकि, आइलैंड जैसे क्षेत्रों में ग्रहण की कवरेज सबसे कम होगी।
आंशिक सूर्य ग्रहण होता क्या है?
आंशिक सूर्य ग्रहण एक ऐसी स्थिति होती है जब चंद्रमा सूर्य के सामने आता है, लेकिन उसे पूरी तरह नहीं ढकता। इससे सूर्य का कुछ हिस्सा छाया में चला जाता है और बाकी भाग दिखाई देता रहता है। यह नजारा ऐसा होता है जैसे किसी ने सूर्य को एक किनारे से काट दिया हो।
आंशिक ग्रहण में पूरी तरह अंधेरा नहीं होता, लेकिन वातावरण में हलकी सी मंद रोशनी और ठंडक महसूस की जा सकती है। कई बार यह सूर्य की आकृति को अर्धचंद्र जैसा बना देता है, जो देखने में काफी दिलचस्प होता है।
क्या भारत में सूतक काल लगेगा?
धार्मिक दृष्टि से सूर्य ग्रहण के समय सूतक काल का विशेष महत्व होता है। यह एक ऐसा समय होता है जब पूजा-पाठ, खाना बनाना और मंदिरों के दरवाजे बंद कर दिए जाते हैं। आमतौर पर ग्रहण शुरू होने से 9-12 घंटे पहले से सूतक काल लग जाता है।
लेकिन एक अहम बात यह है कि सूतक काल केवल तभी मान्य होता है जब ग्रहण किसी स्थान से दिखाई दे। चूंकि 29 मार्च 2025 का सूर्य ग्रहण भारत में नजर नहीं आएगा, इसलिए इसका सूतक काल भी मान्य नहीं होगा। यानी भारत में इस दौरान पूजा-पाठ, मंदिर दर्शन, या अन्य धार्मिक कार्य बिना किसी रोक-टोक के किए जा सकते हैं।