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Share Market Updates : शेयर बाजार पर भारत-अमेरिका टैरिफ पॉलिसी डेवलपमेंट, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा 3 अप्रैल से प्रभावी वाहन आयात पर 25 प्रतिशत टैरिफ की घोषणा और यूएस फेड चेयर पॉवेल के भाषण का असर दिखेगा.

1. अप्रैल की शुरुआत क्यों है खास?

अप्रैल की शुरुआत आर्थिक दृष्टिकोण से बेहद महत्वपूर्ण मानी जा रही है। यह वो समय है जब विभिन्न देशों से आर्थिक आंकड़े सामने आते हैं, जो न केवल स्थानीय बाजारों बल्कि वैश्विक अर्थव्यवस्था की दिशा तय करने में अहम भूमिका निभाते हैं। इस बार भी अप्रैल के पहले सप्ताह में जारी होने वाले आंकड़ों पर सभी की नजरें टिकी हैं, खासकर मैन्युफैक्चरिंग, नौकरियों और आर्थिक गतिविधियों से जुड़े संकेतकों पर।

2. अमेरिका के आंकड़ों पर रहेगी खास नजर

इस बार शुरुआत अमेरिका से होगी। यहां 1 अप्रैल को जारी होने वाला S&P ग्लोबल मैन्युफैक्चरिंग PMI रिपोर्ट कारोबारी धारणा और औद्योगिक उत्पादन की स्थिति को स्पष्ट करेगी। यह रिपोर्ट इस बात की जानकारी देगी कि उद्योग जगत कितना सक्रिय है और आर्थिक गतिविधियां किस दिशा में बढ़ रही हैं।

3. भारत का मैन्युफैक्चरिंग ट्रेंड

2 अप्रैल को भारत का S&P ग्लोबल मैन्युफैक्चरिंग PMI डेटा आएगा, जो यह दर्शाएगा कि घरेलू विनिर्माण सेक्टर किस स्थिति में है। बजाज ब्रोकिंग रिसर्च के अनुसार, यह रिपोर्ट भारत की आर्थिक मजबूती को लेकर काफी कुछ बताएगी। साथ ही अमेरिका की ADP गैर-कृषि रोजगार रिपोर्ट भी इसी दिन आएगी, जो यह संकेत देगी कि निजी क्षेत्र में नौकरियों की क्या स्थिति है।

4. चीन के आंकड़े और ग्लोबल प्रभाव

31 मार्च को चीन अपने मैन्युफैक्चरिंग और कंपोजिट PMI डेटा जारी करेगा। यह आंकड़े चीन की औद्योगिक गतिविधियों, मांग और आर्थिक मजबूती के बारे में विस्तृत जानकारी देंगे। चीन की अर्थव्यवस्था में होने वाले बदलावों का असर सीधे तौर पर कमोडिटी मार्केट और औद्योगिक सेक्टरों पर पड़ता है, इसलिए यह डेटा वैश्विक निवेशकों के लिए काफी महत्वपूर्ण रहेगा।

5. अमेरिका में बेरोजगारी और जॉब डेटा पर फोकस

3 अप्रैल को अमेरिका की 'इनिशियल जॉबलेस क्लेम्स' रिपोर्ट आएगी, जिससे यह समझा जा सकेगा कि वहां की लेबर मार्केट कितनी मजबूत है। इसके आधार पर यह अनुमान लगाया जा सकता है कि फेडरल रिजर्व अपनी मौद्रिक नीति में किस तरह के बदलाव कर सकता है। सप्ताह का समापन 4 अप्रैल को नॉन-फार्म पेरोल और बेरोजगारी दर के आंकड़ों के साथ होगा, जो श्रम बाजार की मजबूती और मुद्रास्फीति के दबाव को समझने में मदद करेंगे।

6. अमेरिका-भारत टैरिफ नीति पर असर

इस हफ्ते अमेरिकी राष्ट्रपति द्वारा घोषित 25% आयात शुल्क, जो 3 अप्रैल से लागू होंगे, बाजार के लिए एक बड़ा संकेत हैं। इससे विशेषकर ऑटोमोबाइल सेक्टर प्रभावित हो सकता है। इसके अलावा यूएस फेडरल रिजर्व के चेयरमैन जेरोम पॉवेल का भाषण भी निवेशकों के लिए महत्वपूर्ण होगा क्योंकि इससे आगे की मौद्रिक नीति की झलक मिल सकती है।

7. विदेशी निवेशक दिखा रहे हैं रुचि

पिछले सप्ताह भी विदेशी निवेशकों ने भारतीय बाजारों में जोरदार निवेश किया। आंकड़ों के अनुसार, 24 से 28 मार्च के बीच एफआईआई ने 17,426 करोड़ रुपये और डीआईआई ने 6,797 करोड़ रुपये का निवेश किया। यह दर्शाता है कि वैश्विक निवेशक भारत की अर्थव्यवस्था पर भरोसा जता रहे हैं।

8. भविष्य की घोषणा पर सबकी निगाहें

अब सबकी नजरें अमेरिका के संभावित टैरिफ प्रतिबंधों और भारत के केंद्रीय बैंक यानी आरबीआई की आगामी समीक्षा बैठक पर टिकी हैं। इसमें यह उम्मीद की जा रही है कि आरबीआई ब्याज दरों में कटौती कर सकती है, जिससे बाजार को राहत मिल सकती है और लिक्विडिटी बढ़ सकती है।


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