
Chaitra Navratri 2025: हिंदू धर्म में देवी दुर्गा की आराधना का विशेष महत्व है और चैत्र नवरात्रि का समय भक्तों के लिए एक अद्भुत साधना काल होता है। चैत्र महीने के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से लेकर नवमी तिथि तक नौ दिनों तक देवी के नौ रूपों की पूजा की जाती है। इनमें अष्टमी तिथि सबसे खास मानी जाती है। इस दिन विशेष रूप से मां दुर्गा की पूजा होती है और अष्टमी का व्रत रखा जाता है।
मान्यता है कि इस दिन मां महागौरी की आराधना से समस्त मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। भक्तों के लिए यह दिन अत्यंत शुभ और शक्तिप्रदायक माना गया है। आइए जानें दुर्गा अष्टमी 2025 की तिथि, शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और उससे जुड़े खास योग।
दुर्गा अष्टमी 2025 की तिथि और शुभ मुहूर्त
चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि 4 अप्रैल, शुक्रवार की रात 8:12 बजे से शुरू होकर 5 अप्रैल, शनिवार को शाम 7:26 बजे तक रहेगी। विद्वानों के अनुसार, 5 अप्रैल को दुर्गा अष्टमी का पर्व पूरे श्रद्धा और विधिपूर्वक मनाया जाएगा। इस दिन अष्टमी व्रत और विशेष पूजा करने का विधान है।
दुर्गा अष्टमी पर बन रहे शुभ योग
5 अप्रैल 2025 को दुर्गा अष्टमी के दिन दुर्लभ योगों का संयोग बन रहा है। इस दिन शिववास योग, सुकर्मा योग और पुनर्वसु नक्षत्र का मेल रहेगा। शिववास योग निशा काल में रहेगा, जो देवी आराधना के लिए अत्यंत शुभ माना गया है। ऐसे शुभ योगों में मां दुर्गा की पूजा से जीवन में सुख, सौभाग्य और समृद्धि आती है।
महागौरी की पूजा – दुर्गा अष्टमी का प्रमुख आकर्षण
अष्टमी तिथि को मां दुर्गा के आठवें स्वरूप, महागौरी की पूजा की जाती है। देवी महागौरी गौरवर्ण (चमकदार श्वेत रंग) की होती हैं और उनका वाहन बैल है। उनके हाथ में त्रिशूल होता है और वे श्वेत वस्त्र धारण करती हैं।
पौराणिक कथाओं के अनुसार, देवी पार्वती ने भगवान शिव को पति रूप में प्राप्त करने के लिए कठोर तप किया था, जिससे उनका शरीर काला पड़ गया था। उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर शिव ने उन्हें पुनः गौर वर्ण प्रदान किया और तभी से वे महागौरी के रूप में पूजी जाती हैं।
मां महागौरी की पूजा विधि और मंत्र
अष्टमी के दिन सुबह स्नान करके सफेद या पीले वस्त्र पहनें। पूजा स्थल को स्वच्छ करके मां महागौरी की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें। उन्हें श्वेत फूल, नारियल, मिठाई और सफेद रंग की चीजें चढ़ाएं।
मंत्र:
ॐ देवी महागौर्यै नमः॥
सर्वमङ्गल माङ्गल्ये सर्वार्थ साधिके।
शरण्ये त्र्यम्बके गौरी नारायणी नमोऽस्तुते।।
श्वेते वृषेसमारूढा श्वेताम्बरधरा शुचिः।
महागौरी शुभं दद्यान्महादेव प्रमोददा॥
या देवी सर्वभूतेषु माता महा गौरी रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥
मां महागौरी के प्रिय भोग और फूल
अष्टमी के दिन मां महागौरी को नारियल अर्पित करना अत्यंत शुभ माना जाता है। नारियल उनकी प्रिय वस्तु है। इसके साथ ही आप उन्हें नारियल की बर्फी, लड्डू और सफेद मिठाइयां भी भोग में चढ़ा सकते हैं। फूलों में मोगरा और रात की रानी उन्हें अत्यंत प्रिय हैं। इन फूलों से मां की पूजा करने से वे शीघ्र प्रसन्न होती हैं।
दुर्गा अष्टमी 2025 का पंचांग
सूर्योदय: सुबह 6:07 बजे
सूर्यास्त: शाम 6:41 बजे
चन्द्रोदय: दोपहर 11:41 बजे
चंद्रास्त: रात 2:19 बजे
ब्रह्म मुहूर्त: सुबह 4:35 से 5:21 तक
विजय मुहूर्त: दोपहर 2:30 से 3:20 तक
गोधूलि मुहूर्त: शाम 6:40 से 7:03 तक
निशिता काल मुहूर्त: रात 12:01 से 12:46 तक
इन मुहूर्तों में विशेष रूप से पूजा करना अत्यंत फलदायक माना गया है।