
Vastu Tips For Main Door : घर का मुख्य द्वार सिर्फ एक प्रवेश द्वार नहीं होता, बल्कि यह सुख-समृद्धि, धन-दौलत और सकारात्मक ऊर्जा का स्रोत भी होता है। वास्तु शास्त्र के अनुसार, घर में आने वाली खुशियों और सफलता का सीधा संबंध मुख्य द्वार की दिशा, रंग और सजावट से होता है। अगर आप नया घर बना रहे हैं या पुराने घर में मुख्य द्वार में बदलाव करने की सोच रहे हैं, तो कुछ जरूरी वास्तु नियमों का पालन करना चाहिए। इससे किसी भी प्रकार के वास्तु दोष से बचा जा सकता है और घर में सकारात्मक ऊर्जा बनी रहती है।
आइए जानते हैं कि घर के मुख्य द्वार से जुड़े कौन-कौन से वास्तु नियमों का पालन करना जरूरी है।
1. किस दिशा में हो मुख्य द्वार?
वास्तु शास्त्र के अनुसार, घर के मुख्य द्वार की दिशा बहुत महत्वपूर्ण होती है। सही दिशा में स्थित मुख्य द्वार घर में सुख-समृद्धि को बढ़ाता है, जबकि गलत दिशा में दरवाजा होने से नकारात्मक ऊर्जा प्रवेश कर सकती है।
- पूर्व दिशा: यह सबसे शुभ मानी जाती है, क्योंकि सूर्य की पहली किरणें यहीं से घर में प्रवेश करती हैं।
- उत्तर दिशा: धन और समृद्धि के लिए उत्तम मानी जाती है।
- पश्चिम दिशा: अगर आपका घर पश्चिम मुखी है, तो मुख्य द्वार उत्तर-पश्चिम दिशा की ओर होना चाहिए।
- दक्षिण दिशा: यह आमतौर पर अशुभ मानी जाती है, लेकिन अगर मुख्य द्वार दक्षिण-पूर्व दिशा में हो, तो यह लाभदायक हो सकता है।
अगर आपका मुख्य द्वार वास्तु के अनुसार सही दिशा में नहीं है, तो कुछ उपायों से इसका प्रभाव कम किया जा सकता है, जैसे पीतल के सिक्के या वास्तु दोष निवारण यंत्र लगाना।
2. मुख्य द्वार का सही रंग क्या होना चाहिए?
मुख्य द्वार का रंग भी वास्तु शास्त्र में बहुत महत्वपूर्ण होता है। यह घर में प्रवेश करने वाली ऊर्जा को नियंत्रित करता है।
शुभ रंग:
- लकड़ी के प्राकृतिक रंग
- सफेद, हल्का पीला या हल्का हरा
- हल्का गुलाबी या क्रीम रंग
अशुभ रंग:
- काला (नकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित करता है)
- गहरा लाल (अत्यधिक क्रोध और उग्रता लाता है)
- ग्रे या गहरा नीला (अनिश्चितता और मानसिक तनाव बढ़ा सकता है)
अगर दरवाजे का रंग गलत हो गया है, तो इसे सही रंग में पेंट करवाएं या उस पर शुभ प्रतीक जैसे स्वस्तिक या ऊँ का चिन्ह बनवाएं।
3. मुख्य द्वार पर नेम प्लेट लगाना क्यों जरूरी है?
मुख्य द्वार पर नेम प्लेट लगाने से घर के मालिक की पहचान होती है और सकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित किया जा सकता है। लेकिन इसे सही दिशा में और सही सामग्री से बनाना आवश्यक है।
सही दिशा और सामग्री:
- उत्तर या पश्चिम दिशा: धातु से बनी नेम प्लेट लगाना शुभ माना जाता है।
- पूर्व या दक्षिण दिशा: लकड़ी या नक्काशी वाली नेम प्लेट लगाना लाभकारी होता है।
गलतियां न करें:
- टूटी-फूटी या धुंधली नेम प्लेट न लगाएं।
- गंदगी से ढकी या जंग लगी प्लेट घर में नकारात्मकता ला सकती है।
- नाम को स्पष्ट और सुंदर अक्षरों में लिखवाएं।
4. दहलीज रखना क्यों जरूरी है?
वास्तु शास्त्र के अनुसार, घर के मुख्य द्वार पर थोड़ी ऊंची दहलीज जरूर होनी चाहिए। इसका महत्व इस प्रकार है:
दहलीज के लाभ:
- यह घर में प्रवेश करने वाली नकारात्मक ऊर्जा को रोकती है।
- बाहरी गंदगी और बुरी नजर से बचाव होता है।
- यह घर के सदस्यों के स्वास्थ्य और आर्थिक स्थिति को बेहतर बनाए रखने में मदद करता है।
अगर घर में दहलीज नहीं है, तो वहां हल्दी या गंगाजल का छिड़काव करके नकारात्मक ऊर्जा को दूर किया जा सकता है।
5. मुख्य द्वार के अन्य महत्वपूर्ण वास्तु नियम
मुख्य द्वार के वास्तु से जुड़े कुछ और महत्वपूर्ण नियमों का पालन करना भी आवश्यक है, ताकि घर में सकारात्मक ऊर्जा बनी रहे और आर्थिक स्थिति मजबूत हो।
ये गलतियां करने से बचें:
टूटा-फूटा दरवाजा न रखें
- अगर मुख्य द्वार टूटा हुआ है, तो तुरंत इसे बदलवा लें।
- ऐसा दरवाजा होने से घर में आर्थिक परेशानियां और मानसिक तनाव बढ़ सकता है।
मुख्य द्वार पर कर्कश डोरबेल न लगाएं
- घर में शांति और सकारात्मक ऊर्जा बनी रहे, इसके लिए मुख्य द्वार पर तेज और कर्कश आवाज वाली घंटी न लगाएं।
- इसके बजाय, मधुर और शांतिपूर्ण ध्वनि वाली डोरबेल चुनें।
जूते-चप्पल और कूड़ेदान मुख्य द्वार के पास न रखें
- मुख्य द्वार के पास गंदगी, जूते-चप्पल, कूड़ेदान या खराब फर्नीचर रखने से नकारात्मक ऊर्जा प्रवेश करती है।
- मुख्य द्वार को हमेशा साफ-सुथरा और सुव्यवस्थित रखें।
मुख्य द्वार पर रोशनी जरूर होनी चाहिए
- घर के मुख्य द्वार पर उचित रोशनी की व्यवस्था करें।
- सूर्य की रोशनी का प्रवेश शुभ माना जाता है, इसलिए दरवाजे के पास रोशनी का इंतजाम जरूर करें।
- रात के समय भी मुख्य द्वार पर हल्की रोशनी जलती रहनी चाहिए, ताकि घर में सकारात्मक ऊर्जा बनी रहे।
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