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इस समय पूरी दुनिया में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) को लेकर चर्चाएं तेज़ हैं। हर दिन नई तकनीकी प्रगति हो रही है, और देश इस दौड़ में आगे निकलने की कोशिश कर रहे हैं। भारत भी इसमें पीछे नहीं रहना चाहता, इसलिए नई-नई तकनीकी पहल और इनोवेशन किए जा रहे हैं। लेकिन हर नया फैसला सभी को पसंद आए, ऐसा ज़रूरी नहीं होता।

हाल ही में भारत सरकार के एक फैसले को लेकर तकनीकी जगत में विवाद खड़ा हो गया। इंडियन एक्सप्रेस की एक RTI रिपोर्ट में खुलासा हुआ कि केंद्र सरकार ने एक एडवाइजरी जारी की थी, जिसके बाद भारी आलोचना हुई और अंततः सरकार को अपने कदम पीछे खींचने पड़े। आइए जानते हैं, पूरा मामला क्या है।

क्या है पूरा विवाद और क्यों हुआ हंगामा?

मामला 1 मार्च 2024 का है, जब भारत सरकार ने एक एडवाइजरी जारी की थी। इसमें कहा गया था कि AI आधारित सभी प्लेटफॉर्म्स को सरकार से अनुमति लेनी होगी। विशेष रूप से, जो भी AI सिस्टम टेस्टिंग के दौर में हैं, उन्हें सरकार को जानकारी देनी होगी और बिना मंज़ूरी के कोई भी नया AI टूल या मॉडल सार्वजनिक नहीं किया जा सकेगा।

लेकिन तकनीकी विशेषज्ञों, स्टार्टअप्स और बड़ी टेक कंपनियों को यह फैसला रास नहीं आया। उन्होंने इस एडवाइजरी को तकनीकी विकास में बाधा बताया और इसकी आलोचना की। इसके बाद सरकार को बैकफुट पर आना पड़ा और एडवाइजरी वापस लेनी पड़ी।

Nasscom ने क्यों उठाई आपत्ति?

भारत की प्रमुख IT संस्था Nasscom (नेशनल एसोसिएशन ऑफ़ सॉफ़्टवेयर एंड सर्विसेज़ कंपनीज़) ने 7 मार्च को इस एडवाइजरी के खिलाफ आपत्ति दर्ज कराई। उन्होंने सरकार के सामने तीन प्रमुख मांगें रखीं—

  1. एप्लिकेबिलिटी (Applicability) के नियमों में ढील दी जाए – यानी हर AI प्लेटफॉर्म को सरकार से अनुमति लेने की बाध्यता न हो।
  2. सरकारी अनुमति अनिवार्य न हो – AI कंपनियों को सरकार की मंज़ूरी लेने की ज़रूरत न हो, बल्कि वे स्वतंत्र रूप से अपने मॉडल्स को विकसित और टेस्ट कर सकें।
  3. स्टेटस रिपोर्ट तैयार करने का दबाव न हो – AI कंपनियों पर यह दबाव न हो कि वे सरकार को बार-बार रिपोर्ट दें कि उनका सिस्टम कैसे काम कर रहा है।

Nasscom का कहना था कि इस एडवाइजरी की वजह से AI कंपनियों की स्वतंत्रता पर असर पड़ सकता है, जिससे टेक्नोलॉजी सेक्टर को नुकसान होगा। इन आपत्तियों के चलते सरकार को अपना फैसला वापस लेना पड़ा।

भारत सरकार का रुख क्या था?

सरकार का कहना था कि AI आधारित कई प्लेटफॉर्म्स पर भारत को लेकर पक्षपाती (biased) जानकारी दी जाती है। कई बार ऐसे तथ्य प्रस्तुत किए जाते हैं जो पूरी तरह सच नहीं होते, जिससे देश की छवि पर असर पड़ सकता है।

सरकार चाहती थी कि—

  • बिना मंज़ूरी के कोई भी AI आधारित कंटेंट सार्वजनिक न किया जाए।
  • AI मॉडल्स से निकलने वाली जानकारी तथ्यात्मक रूप से सही और संतुलित हो।
  • देश की सुरक्षा और समाज पर AI का गलत प्रभाव न पड़े।

लेकिन तकनीकी विशेषज्ञों और उद्योग जगत की आपत्तियों को देखते हुए सरकार को फैसला वापस लेना पड़ा।

क्या यह AI इनोवेशन पर असर डालेगा?

AI तकनीक का विकास भारत में तेजी से हो रहा है। स्टार्टअप्स से लेकर बड़ी टेक कंपनियां इस पर काम कर रही हैं। लेकिन अगर सरकार अत्यधिक प्रतिबंध लगाती है, तो इससे—

  • AI स्टार्टअप्स का ग्रोथ धीमा हो सकता है।
  • वैश्विक AI कंपनियां भारत में निवेश करने से हिचकिचा सकती हैं।
  • नवाचार (Innovation) की रफ्तार कम हो सकती है।

हालांकि, सरकार का कहना है कि उसका मकसद AI को रोकना नहीं, बल्कि उसे एक सुरक्षित और जिम्मेदार तरीके से लागू करना था।