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Chaitra Navratri Bhog 2025 : आज 30 मार्च से चैत्र नवरात्रि का शुभारंभ हो चुका है। इस पावन पर्व के साथ ही वातावरण में भक्ति की एक विशेष लहर दौड़ पड़ी है। नवरात्रि के ये नौ दिन देवी दुर्गा के विभिन्न नौ स्वरूपों को समर्पित होते हैं। हर दिन माता के एक विशेष रूप की पूजा विधिपूर्वक की जाती है, और उन्हें उनका प्रिय भोग अर्पित किया जाता है। यह माना जाता है कि जो भक्त सच्ची श्रद्धा और निष्ठा से देवी की पूजा करता है और उपवास रखता है, उसे जीवन के सभी कष्टों से मुक्ति मिलती है।

इन नौ दिनों में न केवल व्रत और पूजा का महत्व होता है, बल्कि देवी को समर्पित विशेष भोग का भी खास स्थान होता है। आइए जानते हैं कि हर दिन कौन-से देवी स्वरूप की पूजा की जाती है और उन्हें कौन-सा भोग अर्पित करना शुभ माना जाता है।

पहला दिन - माता शैलपुत्री
नवरात्रि का पहला दिन माता शैलपुत्री को समर्पित होता है। पर्वतों के राजा हिमालय की पुत्री होने के कारण इन्हें शैलपुत्री कहा जाता है। इस दिन पूजा के पश्चात माता को गाय के दूध से बनी खीर या गाय के शुद्ध घी का भोग अर्पित किया जाता है। ऐसा माना जाता है कि इससे शरीर और मन दोनों शुद्ध होते हैं और मां शैलपुत्री की कृपा से जीवन में स्थायित्व आता है।

दूसरा दिन - माता ब्रह्मचारिणी
दूसरे दिन देवी ब्रह्मचारिणी की पूजा की जाती है, जो तप और संयम की प्रतीक मानी जाती हैं। इन्हें मिश्री, दूध और पंचामृत का भोग लगाया जाता है। इस दिन का भोग न केवल शुद्धता का प्रतीक है बल्कि यह भक्त के जीवन में ज्ञान, संयम और संतुलन लाने का प्रतीक भी माना जाता है।

तीसरा दिन - माता चंद्रघंटा
तीसरे दिन देवी चंद्रघंटा की आराधना की जाती है। माता का यह स्वरूप शांति और सौम्यता का प्रतीक होता है, लेकिन संकट के समय ये रौद्र रूप धारण करती हैं। इस दिन माता को दूध और दूध से बनी मिठाइयों का भोग अर्पित किया जाता है, जिससे घर में शांति और सुख-समृद्धि बनी रहती है।

चौथा दिन - माता कूष्मांडा
नवरात्रि के चौथे दिन माता कूष्मांडा की पूजा होती है। यह माना जाता है कि ब्रह्मांड की रचना मां कूष्मांडा ने ही अपने हास्य से की थी। इन्हें प्रसन्न करने के लिए मालपुए, दही और हलवे का भोग अर्पित किया जाता है। इस दिन का भोग शक्ति, सृजन और ऊर्जा का प्रतीक होता है।

पांचवां दिन - माता स्कंदमाता
पांचवे दिन मां स्कंदमाता की पूजा की जाती है, जो भगवान कार्तिकेय की माता हैं। इस दिन माता को केले का भोग अर्पित किया जाता है। मान्यता है कि ऐसा करने से संतान सुख की प्राप्ति होती है और घर में सुख-शांति का वास होता है।

छठा दिन- माता कात्यायनी

नवरात्रि का छठा दिन माता कात्यायनी को समर्पित है. मां कात्यायनी को शहद या शहद से बनी खीर का भोग अर्पित किया जाता है.

सातवा दिन- माता कालरात्रि

नवरात्रि के सातवे दिन मां कालरात्रि की पूजा के बाद उन्हें गुड़ और चने का भोग लगाया जाता है.

आठवा दिन- माता महागौरी

नवरात्रि का आठवा दिन मां महागौरी को समर्पित है. मां महागौरी को नारियल, पूड़ी, चना, हलवे का भोग चढ़ाना शुभ माना जाता है. 

नौंवा दिन- माता सिद्धिदात्री

नवरात्रि के आखिरी दिन माता सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है. वहीं, मां सिद्धिदात्री को तिल और मेवे से बने व्यंजनों का भोग लगाना शुभ माना जाता है.