
बिहार में विधानसभा चुनाव की सरगर्मी तेज हो गई है और सभी राजनीतिक दल अपनी रणनीतियों को धार देने में जुट गए हैं। इस कड़ी में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने हाल ही में एक अहम बैठक में पार्टी नेताओं को चुनाव की तैयारी के लिए दिशा-निर्देश दिए। शाह ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि अब वक्त आ गया है कि बिहार में पार्टी को मजबूत करने के लिए ठोस रणनीति अपनाई जाए। उन्होंने नेताओं को दो मुख्य लक्ष्यों पर काम करने का निर्देश दिया—मतदाता प्रतिशत में इजाफा और कमजोर इलाकों को मजबूती देना।

मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र से ली जाएगी प्रेरणा
अमित शाह ने इस दौरान मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र के उदाहरणों का हवाला देते हुए बताया कि कैसे वहां बीजेपी ने कमजोर माने जाने वाले क्षेत्रों में भी बेहतर प्रदर्शन किया। उन्होंने बताया कि मध्य प्रदेश में पहले कुछ क्षेत्रों में बीजेपी का वोट प्रतिशत 23 फीसदी से अधिक नहीं होता था, और महाराष्ट्र के कई हिस्सों में यह 21 फीसदी तक सीमित था। लेकिन पार्टी ने इन इलाकों में विशेष रणनीति के तहत काम किया, बूथ स्तर पर सक्रियता बढ़ाई और मतदाताओं से सीधा संवाद स्थापित किया। इसका परिणाम यह हुआ कि पार्टी का वोट शेयर काफी बढ़ गया।
बिहार में दोहराई जाएगी वही रणनीति
शाह ने साफ तौर पर कहा कि बिहार में भी इसी मॉडल को अपनाना होगा। उन्होंने पार्टी नेताओं को निर्देश दिया कि वे अपने-अपने क्षेत्रों में उन बूथों की पहचान करें जहां पार्टी कमजोर है और वहां विशेष अभियान चलाकर काम शुरू करें। उन्होंने कहा कि इन बूथों को सशक्त बनाना जरूरी है ताकि हम जनता का विश्वास जीत सकें और अपने पक्ष में अधिक वोट जुटा सकें।
कमजोर बूथों की सूची और अभियान की योजना
बैठक में मौजूद सभी नेताओं को शाह ने निर्देशित किया कि वे जल्द से जल्द कमजोर बूथों की सूची तैयार करें। इसके लिए एक विशेष अभियान चलाया जाएगा, जो आने वाले कुछ हफ्तों में ज़मीनी स्तर पर शुरू होगा। पार्टी कार्यकर्ताओं की सक्रियता को अहम बताते हुए शाह ने कहा कि हर बूथ पर ऐसे कार्यकर्ताओं की जरूरत है जो इलाके की नब्ज पहचानते हों और घर-घर जाकर मतदाताओं से संवाद कर सकें।
सिर्फ भाषणों से नहीं, जमीनी काम से मिलेगी जीत
अमित शाह ने यह भी स्पष्ट किया कि सिर्फ मंचों से भाषण देने से काम नहीं चलेगा। अगर पार्टी को वाकई बिहार में मजबूत स्थिति बनानी है, तो उसे जमीनी स्तर पर ईमानदारी से काम करना होगा। उन्होंने कहा कि राज्य में विपक्षी गठबंधन की कमजोरियों का फायदा तभी उठाया जा सकता है जब पार्टी खुद मजबूत और संगठित हो।
छह महीने का विस्तृत रोडमैप
बैठक में अमित शाह ने आगामी छह महीनों के लिए एक विस्तृत कार्ययोजना भी प्रस्तुत की। इस रोडमैप में बूथ स्तर पर कार्यकर्ताओं की ट्रेनिंग, मतदाता जागरूकता अभियान, सोशल मीडिया के जरिए प्रचार-प्रसार, और स्थानीय मुद्दों को प्रभावी ढंग से उठाने की योजना शामिल है। उन्होंने यह भी कहा कि पार्टी को यह सुनिश्चित करना होगा कि केंद्र सरकार की प्रमुख योजनाएं जैसे उज्ज्वला योजना, आयुष्मान भारत, और किसान सहायता योजनाएं, बिहार के हर घर तक सही ढंग से पहुंचें और इनकी जानकारी मतदाताओं तक दी जाए।
जनसंपर्क और जनविश्वास की होगी परीक्षा
शाह ने कहा कि अब वक्त सिर्फ नारों और वादों का नहीं है, बल्कि जमीनी स्तर पर मेहनत करने का है। पार्टी के कार्यकर्ताओं को अपने क्षेत्रों में जाकर जनता से संवाद करना होगा, उनकी समस्याएं समझनी होंगी और उन्हें यह विश्वास दिलाना होगा कि बीजेपी ही राज्य को विकास की दिशा में आगे ले जा सकती है।