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अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में भारत पर रेसिप्रोकल टैक्स लगाने की घोषणा कर दी है, जो 2 अप्रैल से लागू होना है। इस फैसले के पीछे ट्रंप प्रशासन की मंशा है कि अमेरिकी कंपनियों और उत्पादों के लिए निष्पक्ष व्यापार माहौल सुनिश्चित किया जाए। भारत में इस टैक्स के प्रभाव और उसकी प्रक्रिया को समझने और तय करने के लिए अमेरिकी अधिकारियों की एक टीम इस वक्त भारत में मौजूद है। इस टीम में अमेरिका के सहायक व्यापार प्रतिनिधि ब्रेंडन लिंच भी शामिल हैं, जो 29 मार्च तक भारत में रुकेंगे।

बातचीत की दिशा और उद्देश्य

इस दौरे के दौरान दोनों देशों के बीच प्रस्तावित द्विपक्षीय व्यापार समझौते (Bilateral Trade Agreement - BTA) पर भी चर्चा की जाएगी। यह बातचीत भारत और अमेरिका के बीच व्यापारिक रिश्तों को नए स्तर पर ले जाने की दिशा में पहला कदम मानी जा रही है। मुख्य रूप से इस पहले दौर की वार्ता में बीटीए की शर्तों, उसके क्रियान्वयन की संभावित रूपरेखा, और इसके आगे के रोडमैप पर विचार किया जाएगा।

व्यापार घाटे पर अमेरिकी चिंता

हालांकि भारत के साथ अमेरिका का व्यापार घाटा बहुत ज्यादा नहीं है, फिर भी अमेरिका की चिंताएं कम नहीं हैं। ट्रंप प्रशासन खासतौर पर भारत द्वारा लगाए गए ऊंचे आयात शुल्क, विशेषकर ऑटोमोबाइल सेक्टर में, को लेकर असंतुष्ट है। वहीं अमेरिका ने हाल के वर्षों में चीन, कनाडा, मैक्सिको और यूरोपीय संघ जैसे देशों के साथ अपने व्यापारिक रिश्तों की समीक्षा और पुनर्गठन की प्रक्रिया तेज की है, क्योंकि इन देशों के साथ उसका व्यापार घाटा बहुत अधिक है।

भारत की पहल: समाधान की ओर एक कदम

इन परिस्थितियों को देखते हुए भारत ने अमेरिका के साथ व्यापार पर बातचीत शुरू करने की एक अलग और सकारात्मक पहल की है। भारत की ओर से यह स्पष्ट किया गया है कि वह किसी भी व्यापारिक समस्या का समाधान आपसी समझ और सहमति से करना चाहता है। भारत की चिंता अमेरिका द्वारा लगाए गए कुछ गैर-व्यापारिक अवरोधों को लेकर है, जो व्यापार प्रवाह में बाधा उत्पन्न करते हैं। इन मुद्दों पर स्पष्टता और सहमति बनाना ही इस वार्ता का मूल उद्देश्य है।

व्यापारिक संबंधों का विस्तार: भारत की रणनीति

भारत लंबे समय से प्रमुख विकसित देशों के साथ अपने द्विपक्षीय व्यापार संबंधों को मजबूत करने की दिशा में काम कर रहा है। इसका मुख्य मकसद है — व्यापारिक सुरक्षा और वैश्विक सप्लाई चेन की स्थिरता सुनिश्चित करना। अमेरिका के साथ यह वार्ता भी इसी रणनीति का हिस्सा है। भारत की यह कोशिश है कि वह वैश्विक मंच पर एक भरोसेमंद व्यापारिक साझेदार के रूप में खुद को स्थापित करे।

गोपनीयता में हो रही वार्ता, लेकिन उम्मीदें हैं बड़ी

इस बैठक में मीडिया को कवरेज की अनुमति नहीं दी गई है, जिससे यह स्पष्ट है कि बातचीत संवेदनशील और रणनीतिक मुद्दों पर केंद्रित है। हालांकि यह अनुमान लगाया जा रहा है कि वार्ता समाप्त होने के बाद एक संयुक्त बयान जारी किया जाएगा, जिसमें बातचीत की दिशा और प्राथमिकताओं की झलक मिल सकती है।