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8th Pay Commission : सरकारी कर्मचारियों और पेंशनभोगियों के लिए एक बड़ी खबर आई है। केंद्र सरकार ने आठवें वेतन आयोग (8th Pay Commission) के गठन को मंजूरी दे दी है। अब सभी की नजरें इस बात पर टिकी हैं कि उनके वेतन और पेंशन में कितना इजाफा होगा। खासतौर पर, फिटमेंट फैक्टर को लेकर चर्चा तेज हो गई है, क्योंकि इसी के आधार पर वेतन और पेंशन का नया ढांचा तय किया जाएगा।

फिटमेंट फैक्टर: 2.57 से कम नहीं होना चाहिए – एनसी-जेसीएम

नेशनल काउंसिल-ज्वाइंट कंसल्टेटिव मशीनरी (NC-JCM) के सचिव शिव गोपाल मिश्रा का कहना है कि फिटमेंट फैक्टर पिछली बार से कम नहीं होना चाहिए। उन्होंने यह भी साफ किया कि यह कम से कम 2.57 या इससे अधिक होना चाहिए।

हाल ही में एक टेलीविजन इंटरव्यू में उन्होंने कहा कि मौजूदा महंगाई को देखते हुए सरकारी कर्मचारियों को उचित वेतन वृद्धि मिलनी चाहिए। उन्होंने कहा,
"जब 7वें वेतन आयोग में 2.57 फिटमेंट फैक्टर लागू किया गया था, तो अब इसे कम कैसे किया जा सकता है?"

फिटमेंट फैक्टर 2.86 होने पर कितनी बढ़ेगी सैलरी?

NC-JCM के सचिव शिव गोपाल मिश्रा ने मांग की है कि आठवें वेतन आयोग में फिटमेंट फैक्टर को 2.86 रखा जाए। अगर सरकार इस मांग को स्वीकार कर लेती है, तो वेतन में भारी बढ़ोतरी होगी:

फिटमेंट फैक्टरन्यूनतम वेतनन्यूनतम पेंशन
2.57₹18,000 → ₹46,260₹9,000 → ₹23,130
2.86₹18,000 → ₹51,480₹9,000 → ₹36,000

हालांकि, पूर्व वित्त सचिव सुभाष गर्ग का मानना है कि 2.86 फिटमेंट फैक्टर की मांग करना अव्यावहारिक है। उनके अनुसार, सरकार इसे 1.92 के आसपास रखने पर विचार कर सकती है।

फिटमेंट फैक्टर 2.57 से कम क्यों नहीं होना चाहिए?

शिव गोपाल मिश्रा, जो 7वें वेतन आयोग में भी शामिल थे, का कहना है कि 1957 के भारतीय श्रम सम्मेलन और डॉ. अकरोयड के न्यूनतम जीवनयापन वेतन फॉर्मूले के आधार पर पिछले आयोग ने 2.57 का फिटमेंट फैक्टर तय किया था।

लेकिन वर्तमान समय में महंगाई दर काफी बढ़ चुकी है, जिससे कर्मचारियों की जीवनशैली और जरूरतों पर प्रभाव पड़ा है। मिश्रा का मानना है कि सरकार को किसी भी हाल में फिटमेंट फैक्टर 2.57 से कम नहीं रखना चाहिए।

अगर 2.57 फिटमेंट फैक्टर लागू होता है, तो:

  • न्यूनतम वेतन ₹18,000 से बढ़कर ₹46,260 हो सकता है।
  • न्यूनतम पेंशन ₹9,000 से बढ़कर ₹23,130 हो सकती है।

आगे क्या होगा?

फिलहाल सरकार ने 8वें वेतन आयोग के गठन को मंजूरी दे दी है, लेकिन यह देखना दिलचस्प होगा कि सरकार कर्मचारियों की मांगों पर कितना ध्यान देती है।