
मुंबई में 26 नवंबर 2008 को हुए आतंकवादी हमले के पीछे जिन चेहरों का हाथ था, उनमें से एक नाम तहव्वुर हुसैन राणा का भी है। अब भारत सरकार ने उसे अमेरिका से प्रत्यर्पित करने की प्रक्रिया पूरी कर ली है, और वह भारत लाया जा रहा है। इस पूरे मामले की सुनवाई के लिए केंद्र सरकार ने एक वरिष्ठ वकील नरेंद्र मान को विशेष सरकारी वकील (स्पेशल पब्लिक प्रॉसिक्यूटर) के तौर पर नियुक्त किया है। सरकार ने उनकी नियुक्ति को लेकर अधिसूचना भी जारी कर दी है, जो तीन साल के लिए प्रभावी रहेगी।
कौन हैं नरेंद्र मान?
नरेंद्र मान देश के जाने-माने और अनुभवी वकीलों में गिने जाते हैं। वे पहले भी कई हाई-प्रोफाइल मामलों में सीबीआई की ओर से विशेष सरकारी वकील के रूप में अपनी सेवाएं दे चुके हैं। 2018 में कर्मचारी चयन आयोग (एसएससी) पेपर लीक जैसे बड़े मामले में उन्होंने कानूनी कार्रवाई की अगुवाई की थी। सरकार ने अब उन्हें तहव्वुर राणा से जुड़े केस की जिम्मेदारी भी सौंपी है, जो एक बार फिर उनकी विशेषज्ञता और अनुभव पर भरोसे का प्रतीक है।
सरकार द्वारा जारी अधिसूचना के अनुसार, नरेंद्र मान की नियुक्ति राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) के केस नंबर RC-04/2009/NIA/DLI के तहत की गई है। इस केस में तहव्वुर हुसैन राणा और डेविड कोलमैन हेडली को मुंबई हमले की साजिश रचने का दोषी माना गया है। नरेंद्र मान अब इस केस की सुनवाई दिल्ली स्थित एनआईए की स्पेशल कोर्ट और अन्य संबंधित अपीली अदालतों में करेंगे।
उनकी नियुक्ति अधिसूचना के प्रकाशन की तारीख से प्रभावी मानी जाएगी। अगर इस अवधि के भीतर केस का ट्रायल पूरा हो जाता है, तो उनकी जिम्मेदारी भी वहीं समाप्त मानी जाएगी।
भारत आ रहा है तहव्वुर राणा
अमेरिका की सुप्रीम कोर्ट द्वारा भारत प्रत्यर्पण की मंजूरी मिलने के बाद तहव्वुर हुसैन राणा को भारत लाने की प्रक्रिया पूरी हो गई है। वह आज भारत पहुंचेगा, जहां राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) उसे अपनी हिरासत में लेकर पूछताछ शुरू करेगी। यह पूछताछ कई अहम सुराग उजागर कर सकती है, जिससे मुंबई हमले से जुड़ी और भी परतें खुलने की उम्मीद है।
अजमल कसाब को फांसी दिलाने वाले वकील
मुंबई हमले के दौरान आतंकवादियों में से एक अजमल कसाब को सुरक्षा बलों ने जिंदा पकड़ा था। उसके खिलाफ कोर्ट में मुकदमा चलाया गया और महाराष्ट्र सरकार की ओर से वरिष्ठ वकील उज्जल निकम ने उसकी पैरवी की। उनकी सटीक और प्रभावी दलीलों के चलते अदालत ने कसाब को फांसी की सजा सुनाई थी। 21 नवंबर 2012 को कसाब को पुणे की यरवडा जेल में फांसी दी गई थी।
उज्जल निकम ने इससे पहले भी कई हाई-प्रोफाइल मामलों में कानूनी कार्यवाही को अंजाम दिया है। इनमें 1993 के मुंबई बम धमाके जैसे गंभीर मामले भी शामिल हैं। बाद में वे भाजपा में शामिल हुए और लोकसभा चुनाव में भी उम्मीदवार रहे, हालांकि उन्हें हार का सामना करना पड़ा। चुनाव के बाद उन्हें दोबारा महाराष्ट्र सरकार की ओर से सरकारी वकील नियुक्त किया गया।