नई दिल्ली: आर्थिक सुधारों के प्रणेता पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के निधन पर कई गणमान्य लोगों ने उनके साथ अपनी यादें साझा की हैं.
इस मौके पर उनके मीडिया सलाहकार संजय बारू ने पूर्व प्रधानमंत्री मानसिंह को याद करते हुए कहा कि मनमोहन सिंह को हिंदी पढ़ना नहीं आता था, उनके भाषण गुरुमुखी या उर्दू में लिखे होते थे.
2014 में संजय बारू ने अपनी किताब में लिखा था कि भारत के पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह हिंदी नहीं पढ़ पाते थे. उनके सभी भाषण उर्दू में लिखे गये थे। उन्होंने बताया कि भले ही मनमोहन सिंह हिंदी में बोलते थे, लेकिन वह हिंदी पढ़ नहीं पाते थे, लेकिन उर्दू भाषा पर उनकी अच्छी पकड़ थी।
अविभाजित भारत (अब पाकिस्तान) के पंजाब प्रांत के गाह गांव में 26 सितंबर 1932 को गुरमुख सिंह और अमृत कौर के घर जन्मे मनमोहन सिंह ने 1948 में पंजाब विश्वविद्यालय से अपनी मैट्रिक की परीक्षा पूरी की। उनका शैक्षणिक करियर उन्हें पंजाब से कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय, यूके ले गया, जहां उन्होंने 1957 में अर्थशास्त्र में प्रथम श्रेणी ऑनर्स की डिग्री के साथ स्नातक की उपाधि प्राप्त की। इसके बाद, मनमोहन सिंह ने 1962 में ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के नफ़िल्ड कॉलेज से अर्थशास्त्र में डी.फिल की डिग्री के साथ स्नातक की उपाधि प्राप्त की।
उन्होंने वित्त मंत्रालय के सचिव, योजना आयोग के उपाध्यक्ष, भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर, प्रधान मंत्री के सलाहकार और विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के अध्यक्ष के रूप में कार्य किया है।
मनमोहन सिंह का राजनीतिक जीवन:
उनका राजनीतिक करियर 1991 में राज्यसभा का सदस्य बनने से शुरू हुआ, इससे पहले वह 1998 और 2004 के बीच राज्यसभा में विपक्ष के नेता थे। इसके बाद उन्होंने 2004 से 2014 तक दो कार्यकाल के लिए प्रधान मंत्री के रूप में कार्य किया।
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