ट्रैफ़िक नियम
अगर आप सड़क पर सुरक्षित गाड़ी चलाना चाहते हैं तो ट्रैफिक नियमों का पालन करना बहुत जरूरी है। इन्हीं नियमों में से एक है ट्रैफिक सिग्नल का पालन करना।
यातायात संकेत
सड़क पर यात्रा करते समय कई स्थानों पर ट्रैफिक सिग्नल की आवश्यकता होती है। इस सिग्नल में लाल, पीली और हरी रंग की लाइटें होती हैं। इनमें से प्रत्येक रंग का एक अलग अर्थ होता है।
रंगों का अर्थ
लाल ट्रैफिक सिग्नल का मतलब है रुकना. इसका मतलब है कि जब ट्रैफिक सिग्नल पीला हो जाए तो चलने के लिए तैयार रहें और हरा होने पर आगे बढ़ें।
दुनिया का पहला सिग्नल
दुनिया का पहला ट्रैफिक सिग्नल ब्रिटिश संसद भवन के सामने लगाया गया था। इस ट्रैफिक सिग्नल को रेलवे इंजीनियर जेके नाइट ने लगवाया था।
दो हल्के रंग के सिग्नल
शुरुआती दिनों में ट्रैफिक लाइट में दो रंगों लाल और हरे का इस्तेमाल किया जाता था। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि इस रोशनी को रात में दृश्यमान बनाने के लिए गैस का उपयोग किया गया था।
तीन रंग का संकेत
दुनिया की पहली तीन रंगों वाली सुरक्षित स्वचालित इलेक्ट्रिक ट्रैफिक लाइटें 1890 में संयुक्त राज्य अमेरिका में स्थापित की गईं थीं।
लाल, पीला और हरा
कई लोगों को आश्चर्य होता है कि ट्रैफिक सिग्नल में केवल लाल, पीला और हरा रंग ही क्यों इस्तेमाल किया जाता है। आज हम आपको इस रंग के इस्तेमाल के पीछे की वजह बताने जा रहे हैं।
लाल रंग
ट्रैफिक सिग्नल में इस्तेमाल किया जाने वाला लाल रंग अन्य रंगों की तुलना में गहरा होता है और इसे दूर से भी देखा जा सकता है। साथ ही लाल रंग खतरे का संकेत है.
पीला रंग
ट्रैफिक सिग्नल में इस्तेमाल किया जाने वाला पीला रंग ऊर्जा और सूर्य का प्रतीक माना जाता है। यह रंग आपको अपनी ऊर्जा इकट्ठा करने और फिर से सड़क पर उतरने के लिए तैयार होने के लिए कहता है।
हरा रंग
ट्रैफिक सिग्नल में इस्तेमाल होने वाला रंग प्रकृति और शांति का प्रतीक माना जाता है। यह रंग खतरे का विपरीत होता है जो आगे बढ़ने का संकेत देता है।
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