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Times News Hindi,Digital Desk : जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत ने कड़ा कदम उठाते हुए दशकों पुरानी सिंधु जल संधि को निलंबित कर दिया है। भारत ने इसके बाद अगला कदम उठाते हुए चिनाब नदी पर बने बगलिहार बांध से पाकिस्तान की ओर पानी के प्रवाह को नियंत्रित करने का फैसला लिया है। खबरों के मुताबिक, भारत उत्तरी कश्मीर में झेलम नदी पर बने किशनगंगा बांध से भी इसी तरह की कार्रवाई की योजना बना रहा है।

जम्मू के रामबन स्थित बगलिहार जलविद्युत परियोजना और उत्तरी कश्मीर की किशनगंगा परियोजना भारत को पानी छोड़ने के समय और मात्रा को नियंत्रित करने का अधिकार देती हैं। इन दोनों परियोजनाओं के माध्यम से भारत अब पाकिस्तान पर अतिरिक्त दबाव बनाने की स्थिति में है।

दरअसल, बगलिहार बांध लंबे समय से भारत और पाकिस्तान के बीच विवाद का विषय रहा है। पाकिस्तान का आरोप है कि बगलिहार और किशनगंगा बांध के निर्माण से सिंधु जल संधि का उल्लंघन हो रहा है। पाकिस्तान ने पहले भी इस मामले में विश्व बैंक की मध्यस्थता मांगी थी।

चिनाब नदी की भौगोलिक स्थिति के अनुसार, यह नदी हिमाचल प्रदेश के लाहौल-स्पीति जिले में बारालाचाला से निकलती है और जम्मू-कश्मीर होते हुए पाकिस्तान पहुंचती है। भारत ने इस नदी पर 'रन ऑफ द रिवर' परियोजना के तहत बगलिहार बांध बनाया है, जिसमें बिजली उत्पादन के लिए आवश्यक मात्रा तक ही पानी का भंडारण किया जा सकता है। हालांकि पाकिस्तान को इस परियोजना के डिजाइन और जल संग्रहण क्षमता को लेकर आपत्तियां रही हैं। इस मामले में विश्व बैंक द्वारा नियुक्त न्यूट्रल एक्सपर्ट ने बांध की ऊंचाई मामूली डेढ़ मीटर कम करने के साथ बाकी मामले में भारत के पक्ष में फैसला सुनाया था।

भारत का यह कदम कश्मीर में आतंकवाद को लेकर पाकिस्तान पर दबाव बढ़ाने के उद्देश्य से लिया गया है। आने वाले दिनों में पानी के प्रवाह नियंत्रण के इस कदम का असर भारत-पाकिस्तान के रिश्तों पर और भी व्यापक स्तर पर देखने को मिल सकता है।


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