
विपुल अमृतलाल शाह उन फिल्ममेकर्स में गिने जाते हैं, जिन्होंने हमेशा कंटेंट को सर्वोपरि रखा है। उन्होंने एक से बढ़कर एक हिट फिल्में दी हैं, लेकिन अगर उनकी किसी फिल्म ने दर्शकों के दिल में खास जगह बनाई है, तो वह है ‘कमांडो’। इस फिल्म में विद्युत जामवाल ने जो अभिनय और एक्शन प्रस्तुत किया, उसने न सिर्फ उन्हें एक नया पहचान दी, बल्कि हिंदी सिनेमा में एक नया ट्रेंड भी शुरू कर दिया। यह फिल्म इतनी लोकप्रिय हुई कि इसके बाद यह एक सफल एक्शन फ्रेंचाइज़ी में तब्दील हो गई।
जब विपुल शाह को किसी स्क्रिप्ट पर भरोसा होता है, तो वह उसे सिर्फ एक फिल्म तक सीमित नहीं रखते, बल्कि उसे एक बड़ी कहानी में बदल देते हैं। कमांडो इसका सबसे बेहतरीन उदाहरण है।
12 साल बाद भी ‘कमांडो: ए वन मैन आर्मी’ की गूंज
आज ‘कमांडो: ए वन मैन आर्मी’ को रिलीज़ हुए 12 साल हो गए हैं। जब यह फिल्म सिनेमाघरों में आई थी, तो दर्शकों को इसकी हर चीज़ – स्टोरी, एक्शन, और खास तौर पर विद्युत जामवाल की स्क्रीन प्रेज़ेंस – ने चौंका दिया था। विद्युत की चुस्ती, उनकी बॉडी लैंग्वेज और एकदम रॉ एक्शन स्टाइल ने उन्हें एक खास मुकाम पर पहुंचा दिया था।
फिल्म की कहानी एक ऐसे इंसान की थी जो अकेले ही पूरे सिस्टम और माफिया से भिड़ जाता है। न कोई सुपरपावर, न कोई गैजेट – बस खुद पर भरोसा, ट्रेंनिंग और साहस। फिल्म के हर एक्शन सीन में विद्युत ने खुद स्टंट किए थे, किसी बॉडी डबल का इस्तेमाल नहीं हुआ। इससे दर्शकों को एक नया रियलिज़्म महसूस हुआ जो उस दौर की अधिकतर फिल्मों में नहीं था।
फिल्म का सबसे आइकोनिक सीन – पोस्टर फाड़कर एंट्री
अगर पूछा जाए कि ‘कमांडो: ए वन मैन आर्मी’ का सबसे यादगार सीन कौन सा था, तो अधिकतर लोग विद्युत जामवाल की एंट्री वाला सीन ही कहेंगे। यह वही पल था जब वह “फोर्स” फिल्म के पोस्टर को फाड़ते हुए एक धमाकेदार अंदाज़ में पर्दे पर आते हैं। बैकफ्लिप करते हुए गुंडों को धूल चटाना, और फिर पूरी ग्रेस के साथ ज़मीन पर उतरना – यह एक्शन सीन सिर्फ स्टाइलिश नहीं था, बल्कि एक सिनेमाई स्टेटमेंट था।
इस एक सीन में डर, हिम्मत, एटीट्यूड और एक्शन का ऐसा संगम था जिसने बता दिया कि यह कोई आम एक्शन हीरो नहीं है। इसी सीन के बाद से लोगों को एहसास हुआ कि बॉलीवुड को एक नया एक्शन स्टार मिल चुका है।
हाई-ऑक्टेन ब्रिज जंप – जब विद्युत ने रियल स्टंट्स को नई पहचान दी
फिल्म में एक सीन है जब पूजा चोपड़ा और विद्युत जामवाल एक पुल पर फंस जाते हैं। चारों तरफ से जयदीप अहलावत और उसके गुंडों ने घेर लिया होता है। उस पल में सस्पेंस, खतरा और एक्शन – सब कुछ अपने चरम पर होता है। लेकिन तभी विद्युत तीन गुंडों पर छलांग लगाते हैं, पूजा को अपने साथ पकड़ते हैं और दोनों सीधा नदी में कूद जाते हैं।
ये सीन किसी हॉलीवुड फिल्म से कम नहीं लगता। बिना किसी स्पेशल इफेक्ट के, सबकुछ असली – यही वो एलिमेंट था जिसने दर्शकों को रोमांचित कर दिया। विद्युत की टाइमिंग, उनकी बॉडी कंट्रोल और कैमरे के सामने का आत्मविश्वास – सब कुछ इतना परफेक्ट था कि यह सीन आज भी यादगार बन चुका है।
जयदीप अहलावत की दमदार एक्टिंग – खलनायक जो डर भी पैदा करता है
‘कमांडो’ में जयदीप अहलावत ने ‘AK-74’ अमृत कंवल सिंह का किरदार निभाया था, जो कि न सिर्फ फिल्म का मुख्य विलेन था, बल्कि एक ऐसा किरदार था जिसे देखकर वाकई डर लगने लगता है। एक खास सीन में जब पूजा चोपड़ा उसकी बात नहीं मानतीं, तो पहले वह उस पर जोर से चिल्लाता है और फिर अचानक एकदम शांत लेकिन बेहद डरावने लहज़े में बात करता है।
उसके चेहरे के एक्सप्रेशन्स, आंखों की पागलपन भरी चमक और डायलॉग डिलिवरी – सब कुछ इतना खौफनाक था कि यह सीन आज भी दर्शकों के ज़ेहन में ताजा है। जयदीप की यह परफॉर्मेंस साबित करती है कि एक अच्छा विलेन फिल्म को और भी असरदार बना सकता है।
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