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Rajya Sabha News: राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने हाल ही में मुफ्त योजनाओं और सब्सिडी पर एक महत्वपूर्ण बयान दिया। उन्होंने इस मुद्दे पर चर्चा करते हुए कहा कि सरकार द्वारा किए गए निवेश का सही तरीके से उपयोग करने के लिए एक राष्ट्रीय नीति की आवश्यकता है। उनका मानना है कि इस पर सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच बातचीत होनी चाहिए, ताकि देश में इन योजनाओं का प्रभावी और संरचित तरीके से उपयोग किया जा सके।

मुफ्त योजनाओं पर चर्चा की आवश्यकता

जगदीप धनखड़ ने कहा कि मुफ्त की योजनाओं को लेकर संसद में विचार-विमर्श किया जाना चाहिए। उनका मानना था कि देश तब ही विकास कर सकता है, जब पूंजीगत व्यय (Capital Expenditure) उपलब्ध हो और इसका सही तरीके से इस्तेमाल हो। उनका कहना था कि वर्तमान में चुनावी प्रक्रिया ऐसी बन चुकी है कि ये योजनाएं चुनावी प्रलोभन के रूप में इस्तेमाल की जाती हैं। इससे राजनीति में गंभीर समस्याएं उत्पन्न होती हैं, क्योंकि योजनाओं का उद्देश्य वोटों का लालच बन जाता है, न कि लोगों की असल ज़रूरतों को पूरा करना।

राजनीतिक दलों के असहज वादे

जगदीप धनखड़ ने यह भी कहा कि चुनावी दौर में राजनीतिक दल विभिन्न प्रकार के वादे करते हैं, लेकिन सत्ता में आने के बाद वे इन वादों को पूरा करने में असहज महसूस करते हैं। वे इतने असहज होते हैं कि उन्हें अपने विचारों पर पुनर्विचार करना पड़ता है। उन्होंने यह स्पष्ट किया कि एक राष्ट्रीय नीति की तत्काल आवश्यकता है, जिससे सरकार के सभी निवेशों का बेहतर तरीके से उपयोग किया जा सके और ये केवल चुनावी प्रचार का हिस्सा न बन जाएं। उन्होंने कहा कि इस मुद्दे पर वे विपक्ष के नेता और सदन के अन्य नेताओं से भी बातचीत करेंगे, ताकि इस दिशा में कोई ठोस कदम उठाया जा सके।

विधायकों के वेतन और भत्तों में असमानता

राज्यसभा के सभापति ने विधानसभा और संसद के सदस्यों (एमपी और एमएलए) के वेतन, पेंशन और भत्तों में असमानता पर भी सवाल उठाया। उनका कहना था कि संविधान में विधायिका, सांसदों और विधायकों के लिए प्रावधान है, लेकिन इसमें समान व्यवस्था नहीं है। कई राज्यों में यह देखा गया है कि विधानसभा के सदस्य संसद के सदस्यों से कहीं अधिक भत्ते और वेतन प्राप्त करते हैं। यहां तक कि विधानसभा के पूर्व सदस्यों को दी जाने वाली पेंशन भी एक राज्य से दूसरे राज्य में भिन्न होती है, और इसका पैमाना 1 से 10 के बीच हो सकता है।

धनखड़ ने यह भी कहा कि यह एक महत्वपूर्ण मुद्दा है और अगर इस पर कानून बन जाए तो यह राजनेताओं, सरकार और कार्यपालिका को काफी मदद करेगा। उनका मानना है कि यह असमानता देश में एक समान व्यवस्था लागू करने की दिशा में एक बड़ा कदम हो सकता है।

राम गोपाल यादव द्वारा उठाया गया मुद्दा

धनखड़ ने मुफ्त योजनाओं पर अपनी बात तब रखी जब समाजवादी पार्टी के सांसद राम गोपाल यादव ने एमपीएलएडी (MPLAD) फंड में बढ़ोतरी का मुद्दा उठाया था। इस फंड के तहत सांसदों को विकास कार्यों के लिए 5 करोड़ रुपये आवंटित किए जाते हैं। लोकसभा सांसदों के लिए यह फंड उनके निर्वाचन क्षेत्र में खर्च किया जाता है, जबकि राज्यसभा सांसदों के लिए यह फंड उस राज्य के जिलों में खर्च होता है, जहां से वे चुने जाते हैं।

राम गोपाल यादव ने सरकार से मांग की कि एमपीएलएडी फंड को बढ़ाकर 20 करोड़ रुपये प्रति वर्ष कर दिया जाए। इसके अलावा, उन्होंने जीएसटी को इसमें लागू न करने की भी मांग की और एक तकनीकी प्रकोष्ठ की स्थापना की बात की, जो फंड के इस्तेमाल के अनुमान और गुणवत्ता नियंत्रण की देखरेख करेगा।