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15 नवंबर, शुक्रवार को कार्तिक मास की पूर्णिमा है। इस तिथि को देव दिवाली और त्रिपुरारी पूर्णिमा भी कहा जाता है। कार्तिक पूर्णिमा के दिन नदी स्नान, दान और दीपदान करने की परंपरा है। मान्यता के अनुसार इस पर्व पर किए गए धार्मिक कार्य अक्षय पुण्य प्रदान करते हैं। अक्षय पुण्य का अर्थ है ऐसा पुण्य, जिसका प्रभाव जीवन भर रहता है।

उज्जैन के ज्योतिष पं. मनीष शर्मा के अनुसार, पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान शिव ने कार्तिक पूर्णिमा के दिन राक्षस त्रिपुरासुर का वध किया था, इसलिए इस तिथि को त्रिपुरारी पूर्णिमा कहा जाता है। एक अन्य कथा के अनुसार, कार्तिकेय ने हिंदी कैलेंडर के आठवें महीने में स्वामी तारकासुर का वध किया था। इससे प्रसन्न होकर भगवान शिव ने आठवें महीने का नाम कार्तिकेय रखा।

जानिए कार्तिक पूर्णिमा के दिन कौन से शुभ काम किए जा सकते हैं...

  • पूर्णिमा के दिन पवित्र नदी में स्नान करना चाहिए। इस दिन कई श्रद्धालु गंगा, यमुना, नर्मदा, शिप्रा जैसी पवित्र नदियों में स्नान करने आते हैं।
  • जो लोग नदी में स्नान नहीं कर सकते उन्हें घर पर ही पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान करना चाहिए। स्नान करते समय सभी तीर्थों और पवित्र नदियों का ध्यान करना चाहिए।
  • भगवान विष्णु और महालक्ष्मी का अभिषेक करना चाहिए। कई लोग कार्तिक पूर्णिमा का व्रत भी रखते हैं।
  • जरूरतमंद लोगों को दूध, फल, नारियल, कपड़े, चप्पल, गर्म कपड़े, कंबल आदि का दान करना चाहिए।
  • सूर्यास्त के बाद उगते चंद्रमा को अर्घ्य देना चाहिए। इसके लिए चांदी के लोटे में दूध भरकर चंद्रमा को अर्घ्य दें। ॐ पुत्र सोमाय नमः मंत्र का जाप करें.
  • इस दिन भगवान सत्यनारायण की कथा पढ़नी और सुननी चाहिए। पूर्णिमा के दिन भगवान सत्यनारायण का व्रत करने की परंपरा है। मान्यता है कि इस शुभ कार्य से परिवार में सुख-शांति बनी रहती है। भगवान सत्यनारायण संदेश देते हैं कि हमें हर परिस्थिति में सत्य का साथ देना चाहिए।
  • हनुमानजी के सामने दीपक जलाएं और सुंदरकांड, हनुमान चालीसा का पाठ करें। राम नाम का जाप कम से कम 108 बार करें।
  • भगवान कृष्ण के बाल स्वरूप बाल गोपाल का केसर मिश्रित दूध से अभिषेक करना चाहिए। तुलसी के साथ माखन-मिश्री का भोग लगाएं।
  • शिवलिंग पर जल और कच्चा दूध चढ़ाएं। शहद और गंगाजल से अभिषेक करें। -शिवलिंग पर चंदन का लेप लगाएं।

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