
Budget 2025 for agriculture sector : वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 1 फरवरी 2025 को संसद में केंद्रीय बजट 2025 पेश किया। इस बार का बजट खासतौर पर किसानों और कृषि क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए कई अहम घोषणाओं से भरा रहा। सरकार ने कृषि बुनियादी ढांचे को मजबूत करने, तकनीक के इस्तेमाल को बढ़ाने और प्राकृतिक खेती को प्रोत्साहित करने पर विशेष ध्यान दिया है।
किसानों की आय बढ़ाने के लिए बड़े फैसले
किसान क्रेडिट कार्ड की सीमा बढ़ाई गई
- किसान क्रेडिट कार्ड (KCC) की लिमिट 3 लाख रुपये से बढ़ाकर 5 लाख रुपये कर दी गई।
- इससे किसानों को बिना किसी परेशानी के आसान शर्तों पर लोन मिल सकेगा।
- छोटे और सीमांत किसानों को कम ब्याज दर पर ऋण उपलब्ध होगा।
प्रारंभिक ऋण सुविधा 10 करोड़ रुपये तक बढ़ी
- कृषि से जुड़े स्टार्टअप और एग्री-टेक कंपनियों को भी फायदा मिलेगा।
- छोटे किसानों को खेती के लिए बेहतर वित्तीय सहायता मिलेगी।
बजट 2025 में कृषि क्षेत्र के लिए अन्य महत्वपूर्ण घोषणाएँ
1. कृषि बुनियादी ढांचे को मजबूत करने पर जोर
- कोल्ड स्टोरेज और वेयरहाउस के लिए अतिरिक्त बजट आवंटित किया गया।
- ग्रामीण इलाकों में नए कृषि केंद्र और बाजार विकसित किए जाएंगे।
- सरकार कृषि आपूर्ति श्रृंखला को डिजिटल बनाने पर भी जोर दे रही है।
2. स्मार्ट एग्रीकल्चर और आधुनिक खेती को बढ़ावा
- ड्रोन और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) आधारित खेती को प्रोत्साहित किया जाएगा।
- उर्वरकों और बीजों के लिए स्मार्ट सब्सिडी स्कीम लागू होगी।
- सौर ऊर्जा आधारित सिंचाई प्रणाली को बढ़ावा दिया जाएगा।
3. प्राकृतिक खेती और जैविक कृषि को समर्थन
- 100 जिलों में प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए विशेष फंड बनाया गया।
- केमिकल फ्री खेती करने वाले किसानों को अतिरिक्त सब्सिडी दी जाएगी।
- गौ आधारित कृषि के लिए नए प्रोत्साहन योजना शुरू की जाएगी।
4. मत्स्य पालन और डेयरी उद्योग को बढ़ावा
- मत्स्य पालन क्षेत्र के लिए 60,000 करोड़ रुपये का अनुदान।
- डेयरी किसानों को सस्ते ऋण देने की योजना।
- लक्षद्वीप और अंडमान में फिशिंग हब बनाए जाएंगे।
क्या यह बजट किसानों की उम्मीदों पर खरा उतरा?
बजट 2025 में किसानों को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने और उनकी आय बढ़ाने के लिए कई अहम कदम उठाए गए हैं। कृषि में आधुनिक तकनीक के उपयोग से किसानों की उत्पादकता बढ़ेगी और उनकी आमदनी में सुधार होगा।
हालांकि, किसान संगठनों की ओर से अभी यह देखने की जरूरत होगी कि इन घोषणाओं का जमीनी स्तर पर कितना प्रभाव पड़ता है।